सभी अस्पतालों को कारगर कर लोगों को स्वास्थ्य सुविधा दे विभाग
डिजिटल संवाद राज्य गठन के 25 साल बाद भी सरकार जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त नहीं कर पाई है। नतीजतन प्रखंड की बड़ी आबादी अभी

कांडी, प्रतिनिधि। राज्य गठन के 25 साल बाद भी सरकार जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त नहीं कर पाई है। नतीजतन प्रखंड की बड़ी आबादी अभी भी स्वास्थ्य सुविधाओं के लाभ से वंचित है। अगर जमीन स्तर पर तैयार किए गए स्वास्थ्य केंद्रों को कारगर बनाया जाए तो प्रखंड के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में लगभग एक दर्जन अस्पताल भवन सरकार की ओर से बनाए तो गए लेकिन उसे व्यवस्थित कर चालू नहीं किया जा सका। ऐसा प्रतीत होता है कि सिर्फ ठीकेदारी की नीयत से ही उक्त भवनों को बनवाया। प्रखंड में बहुत से ऐसे भी अस्पताल हैं जिनका ताला भी नहीं खुलता।
शिवपुर में अस्पताल भवन का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। सतबहिनी झरना तीर्थ स्थल पर लगभग एक वर्ष से करोड़ों रुपये की लागत से 30 बेड का अस्पताल बन कर तैयार है लेकिन अभी तक उक्त अस्पताल को शुरू नहीं किया गया। उक्त कारण अस्पताल बनने का लाभ स्थानीय लोगों को नही मिल सका। वर्ष 2010 -11 में 25 -25 लाख की लागत राशि से बलियारी व अधौरा में अस्पताल भवन बनाया गया लेकिन जो सुविधा लोगों को इस अस्पताल से मिलना चाहिए नहीं मिल सका। उधर सरकोनी, कोरगाईं, लमारी, पिपरडीह व घटहुआं, घोड़दाग गांव में अस्पताल भवन बने लेकिन उन सभी अस्पताल सुविधा विहीन हैं। उक्त अस्पतालों का कभी कभार ही एएनएम आकर ताला खोलती है। प्रखंड के लोग आज भी नीम हकीम व झोलाछाप ग्रामीण चिकित्सक के भरोसे हैं। प्रखंड मुख्यालय स्थित अस्पताल की भी स्थिति खराब है। यहां पर एक भी महिला डॉक्टर की पदस्थापना नहीं है। यहां पर समुचित जांच की भी सुविधा नहीं है। एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड जांच की कोई सुविधा नहीं होने के कारण मरीज निजी जांच घर से जांच कराते हैं। प्रखंड के बहुत से ऐसे अस्पताल हैं जो शुरू होने से पहले ही जर्जर हो गए हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो प्रखंड में स्वास्थ्य सुविधा लचर स्थिति में है। स्वास्थ्य लोगों की मुख्य जरूरत है। सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं को दुरूस्त करना चाहिए।
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