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दुमका जिले में मौसमी बीमारियों का बढ़ा प्रकोप

दुमका के ग्रामीण क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में लोग मौसमी बीमारियों की चपेट में हैं। प्रखंड मुख्यालयों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में रोज आने वाले मरीजों में 60 प्रतिशत मरीज मौसमी बीमारी से...

दुमका जिले में मौसमी बीमारियों का बढ़ा प्रकोप
हिन्दुस्तान टीम,दुमकाSat, 07 Jul 2018 10:15 PM
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दुमका के ग्रामीण क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में लोग मौसमी बीमारियों की चपेट में हैं। प्रखंड मुख्यालयों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में रोज आने वाले मरीजों में 60 प्रतिशत मरीज मौसमी बीमारी से पीड़ित आ रहे हैं। कई प्रखंड मुख्यालयों के अस्पतालों में मलेरिया और कालाजार के मरीज भी आ रहे हैं। पर बरसात शुरु होने के साथ ही सर्दी—खांसी और बुखार और डायरिया जैसे रोगों से अधिकतर लोग पीड़ित हो रहे हैं। मौसमी बीमारियों से पीड़ित अधिकतर मरीजों का इलाज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के आउटडोर में ही हो जाता है पर डायरिया के मरीजों को भर्ती किया जाता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डायरिया के मरीजों के लिए दवा की कमी नहीं है। पर्याप्त मात्रा में सलाइन भी है। पर सर्दी-खांसी और बुखार के इलाज के लिए बच्चों को दिया जाने वाला पैरासिटामोल का सिरप और कफ सिरप की कमी है। अस्पतालों में गैस की दवा भी स्टॉक में नहीं है। कई दवाएं बाहर से लानी पड़ती है। अधिकांश सीएचसी में डाक्टरों की कमी है। रामगढ़ सीएसची : रामगढ़ स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रतिदिन आउटडोर में औसतन 70 से 80 मरीज आते हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की तुलना में यहां सीएचसी में व्यवस्था बेहतर है। डॉक्टर नियमित आते हैं। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर संजय कुमार ने बताया कि इद दिनों अधिकतर मरीज मौसमी बीमारी से ग्रस्त हो कर अस्पताल पहुंच रहे हैं। प्रभारी के अनुसार मौसमी बिमारियों से सम्बन्धित दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इसके साथ एंटी रेबीज और एंटी वेनम वैक्सीन भी अस्पताल में मौजूद है। विटामिन नहीं रहने के कारण मरीजों को बाहर से लेना पड़ता है। एम्बुलेंस और आक्सीजन की सुविधा नहीं है। इस कारण मरीजों को इमरजेंसी में परेशानी होती है।रानेश्वर सीएचसी : रानेश्वर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज की घोर कमी है। अस्पताल में 30 बेड है। मौसमी बीमारियों में केवल डायरिया के मरीज को ही भर्ती लिया जाता है। दूसरी गंभीर रुप से बीमार मरीजों को दुमका रेफर कर दिया जाता है। यहां से रेफर होने के बाद अधिकांश मरीज प.बंगाल के सिउड़ी इलाज के लिए जाते हैं। अस्पताल में सामान्य बिमारियों के लिए ही दवा उपलब्ध है। एक प्रकार का एंटीबायोटिक दवा है। सामान्य सर्दी-खांसी और बुखार का ही इस अस्पताल में इलाज होता है जिसकी दवा अस्पताल में मिल जाती है। डॉक्टर का कहना है कि विशेष परिस्थिति में ही बाहर की दवा लिखी जाती है। जामा सीएचसी: सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जामा 30 बेड का अस्पताल है। पर 15 बेड ही उपलब्ध हैं। इनडोर और आउटडोर में प्रतिदिन औसत मरीज की संख्या 70 से 80 है। प्रभारी डा० सत्यवती हेम्ब्रम के अनुसार गैस,एसिडिटी, उल्टी-दस्त,बुखार और अन्य मौसमी बिमारियों से पीड़ित मरीज अधिक हैं। मुख्य दवाएं एन्टीबायोटिक, स्लाइन उपलब्ध है। गैस,बुखार की दवाईयां मिल जाती है। सिरप और आयरन खरीदना पड़ता है। प्रभारी ने बताया कि मांग के अनुसार जिला से वर्ष में एक बार कुछ दवाएं मिल जाती है परंतु अधिकतर दवाई खरीदते हैं।

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