संत व ज्ञानी व्यक्ति का नहीं करें तिरस्कार:पंडित फणिभूषण
संत व ज्ञानी व्यक्तियों का हमेशा सत्कार करना चाहिए। कभी भी संत व ज्ञानी व्यक्तियों को अपमानित नहीं करना चाहिए। पुराना दुमका, हरणाकुंडी में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे...
संत व ज्ञानी व्यक्तियों का हमेशा सत्कार करना चाहिए। कभी भी संत व ज्ञानी व्यक्तियों को अपमानित नहीं करना चाहिए। पुराना दुमका, हरणाकुंडी में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन बुधवार को कथाव्यास पंडित फणिभूषण महाराज ने कहीं। कथाव्यास ने वामन अवतार के बारे में भक्तों को विस्तार से बताते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को छोटा समझकर तिरस्कार नहीं करना चाहिए। जिसका परिणाम यह हुआ कि राजा देत्य बलि की राजगद्दी चली गई। कभी भी गरीबों, अबला, असहाय, मानसिक विक्षिप्त व बच्चों को नहीं सताना चाहिए। इससे धन व वंश दोनों नष्ट हो जाता है। राम अवतार के कथा सुनाते हुए कथाव्यास ने कहा कि भगवान राम की लीला अनुकरणीय है, जिस कारण उन्हें मर्यादा पुरूषोत्तम राम कहा जाता है। वहीं भगवान श्री कृष्ण की लीला चिंतनीय है। कृष्ण के लीला का अनुकरण नहीं किया जा सकता। कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम के आर्दशों को अपना कर कोई भी व्यक्ति पुरूषोत्तम बन सकता है। यह कथा समाज के लोगों को सिखलाता है कि किस तरह माता-पिता, बड़े-बुजुर्गों को सम्मान देने के साथ उनके बातों का अनुशरण करना चाहिए। भगवान राम ने अपने पिता के वचन को निभाने के लिए सिंघासन छोड़ वनवास चले गए थे। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। कथा के दौरान वामन अवतार, राम व कृष्ण जन्मोत्सव से संबंधित कई झांकियां निकाली गई।