प्रभु को पाने के लिए अनन्य भक्ति की जरूरत : महर्षि गोपालजी
कतरास रोड मटकुरिया स्थित श्रीश्री 1008 बाबा भूतनाथ मंदिर में महायज्ञ सह श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथाव्यास महर्षि गोपाल जी महाराज ने हिरण्यकश्यप...
धनबाद, कार्यालय संवाददाता
कतरास रोड मटकुरिया स्थित श्रीश्री 1008 बाबा भूतनाथ मंदिर में महायज्ञ सह श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथाव्यास महर्षि गोपाल जी महाराज ने हिरण्यकश्यप तथा दक्ष प्रजापति की कथा श्रद्धालुओं को सुनाई। उन्होंने सती का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक बार माता सती के पिता दक्ष प्रजापति ने यज्ञ कराया। इसमें उन्होंने शिवजी को निमंत्रण नहीं भेजा। माता सती शिवजी से यज्ञ में जाने के लिए कहती हैं। मगर शिवजी ने निमंत्रण न होने की बात कहकर जाने से मना किया, लेकिन माता सती नहीं मानीं और हठ करके यज्ञ में शामिल होने अपने पिता दक्ष प्रजापति के घर चली गईं। यज्ञ के दौरान उन्होंने शिवजी का अपमान होते देखा। इस पर वे क्रोधित हो गईं और योग अग्नि से उन्होंने अपना शरीर भस्म कर दिया। इसके बाद उन्होंने ध्रुव की कथा सुनाई। कहा कि एक बार ध्रुव अपने पिता राजा उत्तानपाद की गोद में बैठे थे। इस दौरान उनकी सौतेली माता सुरुचि ने उन्हें राजा की गोद से आपमान कर उतार दिया। इस पर ध्रुव छोटी सी उम्र में ही वन में तपस्या करने के लिए चले गए। उनकी घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें दर्शन दिए। कहा कि तप और अनन्य भक्ति से भगवान की प्राप्ति होती है।
