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'चीनी चुनौती से स्टील सेक्टर उबरा,अब कोयले की बारी'

चीन की चुनौती से भारतीय स्टील कंपनियां उबर गई हैं। अब कोकिंग कोल की चुनौती से उबरना है। वर्तमान में भारतीय स्टील सेक्टर बड़े पैमाने पर कोकिंग कोल का आयात कर रहा...

'चीनी चुनौती से स्टील सेक्टर उबरा,अब कोयले की बारी'
हिन्दुस्तान टीम,धनबादThu, 06 Dec 2018 01:38 AM
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चीन की चुनौती से भारतीय स्टील कंपनियां उबर गई हैं। अब कोकिंग कोल की चुनौती से उबरना है। वर्तमान में भारतीय स्टील सेक्टर बड़े पैमाने पर कोकिंग कोल का आयात कर रहा है। स्टील सेक्टर को लाभप्रद बनाने के लिए देसी कोकिंग कोल उपलब्ध कराना होगा। इस दिशा में बीसीसीएल की भूमिका अहम होगी। यह बात स्टैंडिंग कमेटी ऑन कोल एंड स्टील के चेयरमैन सह उज्जैन के सांसद चिंतामणि मालवीय ने कही। वे बीसीसीएल के दौरे पर बुधवार को आए थे।

उन्होंने कहा कि चीन की ओर से भारत में भारी मात्रा में इस्पात डंप किए जाने के कारण भारतीय स्टील कंपनियों की स्थिति खराब हो गई थी। मोदी सरकार ने एंटी डंपिंग पॉलिसी लाकर स्टील कंपनियों की राह आसान की। मौजूदा समय में सेल, टाटा, आरआईएनएल जैसी कंपनियां फायदे में हैं। एंटी डंपिंग पॉलिसी का लाभ छोटी-छोटी स्टील कंपनियों को भी मिला। मालवीय ने संकेत दिए कि स्टील सेक्टर फिलहाल आयातित कोयले पर निर्भर है। स्टील कंपनियों के लिए यह बड़ी समस्या है। कोयला आयात करने से काफी विदेशी मुद्रा खर्च करना पड़ा रहा है। देसी कोकिंग कोल जब स्टील सेक्टर को उपलब्ध कराने में कामयाब होंगे, तो स्टील को बड़ी राहत मिलेगी। देश की इकलौती कोकिंग कोल कंपनी बीसीसीएल है। बीसीसीएल का कोयला स्टील सेक्टर के लिए महत्वपूर्ण है। बीसीसीएल में अंग्रेजों के जमाने से कोयला खनन हो रहा है। अवैज्ञानिक तरीके से खनन के कारण कई तरह की परेशानियां भी हुई हैं। अब नई खदानें खुल रही हैं। ये खदानें पूरी तरह से वैज्ञानिक एवं ज्यादा कोयला उत्पादन करने वाली तकनीक पर आधारित होंगी।

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