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कोयला छोड़िए, बालू-पत्थर के अवैध खनन रोकने में भी विभाग फेल

पिछले सप्ताह उपायुक्त ने राजस्व वसूली की समीक्षा की। सर्वाधिक राजस्व वसूली की जिम्मेदारी जिन विभागों पर होती है, उनमें जिला खनन विभाग भी शामिल...

कोयला छोड़िए, बालू-पत्थर के अवैध खनन रोकने में भी विभाग फेल
हिन्दुस्तान टीम,धनबादMon, 20 Jan 2020 03:07 AM
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पिछले सप्ताह उपायुक्त ने राजस्व वसूली की समीक्षा की। सर्वाधिक राजस्व वसूली की जिम्मेदारी जिन विभागों पर होती है, उनमें जिला खनन विभाग भी शामिल है। खनन विभाग की राजस्व वसूली की उपलब्धि महज 53 प्रतिशत है। यानी नौ माह में 53 प्रतिशत राजस्व संग्रह किया गया है। बचे तीन माह में 47 प्रतिशत की वसूली कैसे होगी। मामले पर विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि जो मौजूदा स्थिति है उसमें लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है।

विभागीय सूत्र के अनुसार राजस्व का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत बीसीसीएल है। कोयले का कम उत्पादन के कारण अपेक्षित रॉयल्टी बीसीसीएल से नहीं मिल रही है। धनबाद खनन विभाग के कुल राजस्व का 80 प्रतिशत कोयला (बीसीसीएल) से मिलता है। कोयला में टिस्को एवं सेल की कोयला खदानों का भी योगदान रहता है।

पत्थर-बालू से मिलने वाले राजस्व पर अवैध धंधेबाज काबिज हैं। अभी हाल के दिनों में हुई कार्रवाई ने खनन विभाग की कार्य संस्कृति पर भी सवाल खड़ा किया है। जिस तरह पत्थर एवं बालू में संगठित रूप से अवैध धंधेबाज काबिज हैं, उनसे यह स्पष्ट हो गया है कि बड़े पैमाने पर राजस्व की चोरी की गई है। टास्क फोर्स की ओर से दर्ज एफआईआर में भी सरकारी राजस्व चोरी की शिकायत की गई है। वर्षों से 11 क्रशर बिना लाइसेंस के चल रहे थे। दो पत्थर खदान में भी अवैध खनन हो रहा था। दो तरफ राजस्व की क्षति हुई। एक तो क्रशर चलाने के बदले सरकार को लाइसेंस फीस नहीं मिली। दूसरी तरफ बिना लीज पत्थर खदान में खुदाई की गई।

पत्थर एवं बालू माफियाओं के खिलाफ छापेमारी होती है, लेकिन खनन विभाग के अधीन जो शक्तियां हैं उनके अनुरूप कार्रवाई नहीं की जाती है। एफआईआर कर विभाग पुलिस पर मामले को छोड़ निश्चिंत हो जाती है।

डीएफएमटी की योजनाएं भी होंगी प्रभावित

बीसीसीएल में कम कोयला उत्पादन से डीएफएमटी की योजनाएं भी प्रभावित हो सकती हैं। बीसीसीएल का चालू वित्तीय वर्ष में कोयला उत्पादन का लक्ष्य 36 मिलियन टन है। पिछले माह यानी दिसंबर तक 18 मिलियन टन तक ही कंपनी पहुंची है। तीन माह में 18 मिलियन टन कोयला उत्पादन मुश्किल है। बीसीसीएल सूत्रों की मानें तो 29-30 मिलियन टन तक उत्पादन पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति में धनबाद में 1100 करोड़ से अधिक की योजनाएं डीएफएमटी के भरोसे हैं। यानी योजनाओं को फंड की कमी हो सकती है।

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