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भगवान और भक्त के बीच शाश्वत संबंध ही है सतानन धर्म : भक्ति पुरुषोतम

सनातन का अर्थ है शाश्वत अर्थात नित्य। भगवान और भक्त के बीच शाश्वत संबंध ही सतातन धर्म है। सनातन धर्म में तीन तरह की भक्ति और भक्त होते है। प्रथम सकाम भक्ति, द्वितीय निष्काम और तृतीय प्रेम भक्ति...

सनातन का अर्थ है शाश्वत अर्थात नित्य। भगवान और भक्त के बीच शाश्वत संबंध ही सतातन धर्म है। सनातन धर्म में तीन तरह की भक्ति और भक्त होते है। प्रथम सकाम भक्ति, द्वितीय निष्काम और तृतीय प्रेम भक्ति...
1/ 3सनातन का अर्थ है शाश्वत अर्थात नित्य। भगवान और भक्त के बीच शाश्वत संबंध ही सतातन धर्म है। सनातन धर्म में तीन तरह की भक्ति और भक्त होते है। प्रथम सकाम भक्ति, द्वितीय निष्काम और तृतीय प्रेम भक्ति...
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हिन्दुस्तान टीम,धनबादMon, 10 Feb 2020 02:55 AM
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सनातन का अर्थ है शाश्वत अर्थात नित्य। भगवान और भक्त के बीच शाश्वत संबंध ही सतातन धर्म है। सनातन धर्म में तीन तरह की भक्ति और भक्त होते है। प्रथम सकाम भक्ति, द्वितीय निष्काम और तृतीय प्रेम भक्ति है। यह बातें इस्कॉन मायापुर से आए त्रिदंडी स्वामी भक्ति पुरुषोतम महाराज ने कही।

वह रविवार को धैया चनचनी कॉलेानी में आयोजित नित्यानंद त्रयोदशी सह कृष्ण माधुर्य उत्सव में व्यासपीठ से कथा कह रहे थे। उन्होंने बताया कि सकाम भक्ति में भक्त भगवान से कुछ चाहत रखकर उनकी आराधना करता है। निष्काम भक्ति में भक्त बगैर कुछ चाहत, बगैर कुछ इच्छा मन में लिए भक्ति करता है, लेकिन प्रेम भक्ति करनेवाले भक्त सर्वोत्तम होते हैं जो भगवान की पूजा ही नहीं अपितु प्रेम करते हैं, उनसे सेवा नहीं लेते, अपना सर्वस्व देकर उनकी सेवा करते हैं, यह ब्रजवासियों की भक्ति है। इसी भक्ति को देने के लिए भगवान श्रीकृष्ण का चैतन्य महाप्रभु के रूप में फिर से अवतरण हुआ।

भक्ति पुरुषोतम ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार कहा गया है कि ब्रह्मा के भीतर 50 गुण है, महादेव को 55 गुण है और नारायण को 60 गुण हैं। भगवान नारायण के अवतार श्री कृष्ण जो कि स्वयं भगवान हैं, उनके पास 64 गुण हैं। उन्हें चार अतिरक्ति गुणों से अलंकृत किया गया है। ये गुण है रूप माधुर्य, लीला माधुर्य, वेणु माधुर्य और प्रेरणा प्रिया। कृष्ण का अर्थ ही है सबको आकर्षित करने वाला, सबका चित्त हरण करनेवाला।

64 द्रवों से हुआ भगवान का अभिषेक

कथा के उपरांत भगवान को दूध ,दही, मधु, फलों के रस, चंदन, गंगा जल सहित 64 तरह के द्रवों से दिव्य अभिषेक कराया गया। इसके बाद महाआरती हुई। इस मौके सैकड़ों की संख्या में भक्त शामिल हुए। महाआरती के बाद भगवान को भोग लगाया गया। भक्तों ने पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान हरिनाम संकीर्तन पर भक्तों ने सुंदर नृत्य प्रस्तुत किए। अंत में महाप्रसाद का वितरण किया गया।

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