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आरसी कार्ड बना कर चोरी की गाड़ी बेचता था गिरोह

जामताड़ा के नारायणपुर में वाहन चोर गिरोह के खिलाफ हुई ताबड़तोड़ छापेमारी में कई खुलासे हुए हैं। पत्रकारों से बातचीत करते हुए एसएसपी मनोज रतन चोथे ने बताया कि गिरोह के सदस्य वाहन चोरी कर उस पर फर्जी...

आरसी कार्ड बना कर चोरी की गाड़ी बेचता था गिरोह
हिन्दुस्तान टीम,धनबादWed, 30 May 2018 02:42 AM
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जामताड़ा के नारायणपुर में वाहन चोर गिरोह के खिलाफ हुई ताबड़तोड़ छापेमारी में कई खुलासे हुए हैं। पत्रकारों से बातचीत करते हुए एसएसपी मनोज रतन चोथे ने बताया कि गिरोह के सदस्य वाहन चोरी कर उस पर फर्जी नंबर प्लेट लगा देते थे। इसके बाद उन वाहनों का आरसी तैयार कर महंगे दामों पर इसे दूसरे जिलों में बेच दिया जाता था। मंगलवार को पुलिस ने नारायणपुर के नुरगी से गिरफ्तार क्यूम अंसारी को जेल भेज दिया।

एसएसपी ने बताया कि नारायणपुर में वृहद पैमाने पर वाहन चोरी और गाड़ियों का जाली दस्तावेज बनाने का गोरखधंधा चल रहा था। धनबाद के साथ-साथ झारखंड के अन्य जिलों से वाहनों की चोरी कर उसके दस्तावेज बनाए जा रहे थे। धनबाद शहर में लगातार हो रही वाहन चोरी की घटना के बाद इंस्पेक्टर अशोक कुमार सिंह, निरंजन तिवारी, अलबिनुस बाड़ा और सब इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया था। टीम ने 27 मई की रात नारायणपुर के नुरगी में क्यूम अंसारी और करमई में गोरांग दास के घर दबिश दी। दोनों के घरों से पुलिस ने चोरी की 13 बाइक, दो बोलेरो और एक कार बरामद किया था। गोरांग के घर से पुलिस ने 83 रजिस्ट्रेशन डिजिटल कार्ड और भारी मात्रा में सेंट्रल व्हीकल एक्ट के ट्रांसफर से संबंधित फॉर्म 29 और 30 जब्त किया। साथ ही धनबाद का एफिडिविट फॉर्म, वाहनों के चाभी के गुच्छे, आधार कार्ड, बाइक की मास्टर चाभी और एक हजार 20 रुपए बरामद किए गए।

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यदि कार्ड सही तो परिवहन कार्यालय घेरे में

एसएसपी ने बताया कि गोरांग छापेमारी के दौरान मौके से फरार हो गया। वह गिरोह का मास्टर माइंड है। उसके घर से जब्त डिजिटल रजिस्ट्रेशन कार्ड की जांच हो रही है। कार्ड को लेकर पुलिस में भी कौतूहल की स्थिति है। यदि कार्ड सही हैं और परिवहन कार्यालय से जारी है तो इसमें परिवहन कार्यालय का घेरे में आना तय माना जा रहा है। जब्त आरसी कार्ड में 70 प्रतिशत से अधिक धनबाद के वाहन मालिकों के नाम हैं।

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वाहन चोरी से ठिकाने लगाने तक कई टीम सक्रिय

पहले लिफ्टर बाइक की चोरी करता है। फिर लिफ्टर वाहन को रिसीवर तक पहुंचाता है। रिसीवर बाइक को लेकर डिस्ट्रीब्यूटर के पास पहुंचता है। वहां फर्जी दस्तावेज के आधार पर वाहनों का आरसी कार्ड तैयार किया जाता है। इससे पहले बाइक व चारपहिया गाड़ियों की सूरत बदल दी जाती है ताकि यह पहचान में नहीं आ सके। वाहनों की स्थिति के अनुसार कीमत तय होती है। शोरूम की तरह गिरोह के सदस्य चोरी के वाहनों की मार्केटिंग करते हैं। ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में वाहनों को खपाया जाता है।

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