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मासस नेता के बेटे की मदद से जेल कनेक्शन समझ रही पुलिस

कुस्तौर के भाजपा नेता सतीश सिंह की हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए स्पेशल पुलिस टीम झरिया ऐना इस्लामपुर में रहने वाले एक मासस नेता के बेटे की मदद ले रही...

मासस नेता के बेटे की मदद से जेल कनेक्शन समझ रही पुलिस
हिन्दुस्तान टीम,धनबादMon, 31 Aug 2020 03:43 AM
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कुस्तौर के भाजपा नेता सतीश सिंह की हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए स्पेशल पुलिस टीम झरिया ऐना इस्लामपुर में रहनेवाले एक मासस नेता के बेटे की मदद ले रही है। उससे हत्याकांड का जेल कनेक्शन समझने का प्रयास किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि उसने पुलिस को कई जानकारी दी है।

पिछले साल दिसंबर में अमेरिकी मूल के लोगों को फोन कर उनसे ठगी करने के मामले में मासस नेता के बेटे को जेल भेजा गया था। वह हाल में ही जेल से बाहर आया है। पुलिस की स्पेशल टीम उससे नीरज सिंह हत्याकांड में बंद यूपी आंबेडकरनगर के कथित शूटर अमन सिंह की जेल के अंदर की गतिविधि के संबंध में पूछताछ की। उससे कुस्तौर नया धौड़ा निवासी भीम सिंह और उसके साथियों के जेल में रहने के दौरान की भूमिका भी पूछी जा रही है। पुलिस को सूचना मिली है कि अमन सिंह से भीम सिंह और सूरज प्रताप सिंह की जेल के अंदर नजदीकियां रही हैं। बताया जा रहा है कि मासस नेता के बेटे ने पुलिस को कई जानकारी दी है, जिसके आधार पर पुलिस आगे के अनुसंधान में जुटी है।

कमजोर तकनीकी जांच से उलझते जा रहा केस

सतीश सिंह हत्याकांड की गुत्थी लगातार उलझते जा रही है। अभी तक पुलिस साजिशकर्ता और शूटरों को चिह्नित करने की बात कह रही थी। लेकिन 10 दिन बीतने के बाद भी पुलिस के हाथ न तो कोई ठोस सबूत लग पाया है और न ही कोई संदेही ही पुलिस के हत्थे चढ़ा है। पुलिस पहले दिन से कॉल डंप और मोबाइल सीडीआर के जरिए आरोपियों तक पहुंचने के प्रयास में है, लेकिन अभी तक तकनीकी जांच से पुलिस को कुछ भी हासिल नहीं हो पाया है।

समय बीतने के साथ मिटते जा रहे सबूत

विशेषज्ञों की मानें तो समय बीतने के साथ सतीश सिंह हत्याकांड के सबूत कमजोर होते जा रहे हैं। पुलिस जिन लोगों को संदेही मान कर जांच में जुटी है, यदि देर-सबेर उन्हें पकड़ भी लिया जाता है तो उनके खिलाफ साक्ष्य जुटाना बड़ी चुनौती होगी। 10 दिन से संदेहियों के साथ पुलिस की जारी आंख मिचौनी के बीच माना जा रहा है कि सभी संदेही धनबाद ही नहीं राज्य से भी बाहर निकल गए हैं। टेक्निकल सेल की तत्परता के बिना उन तक पहुंचना लगातार मुश्किल होते जा रहा है।

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