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लॉकडाउन में रोजगार छिना तो बंजर जमीन पर कर डाली पपीते की खेती

संकट के समय में भी धैर्य के साथ कुछ करने की कोशिश की जाए तो सफलता पाई जा सकती है। धनबाद के बांद्रबाद गांव के पांच युवकों ने यह साबित कर दिया है। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से अपने गांव लौटे ये युवक...

लॉकडाउन में रोजगार छिना तो बंजर जमीन पर कर डाली पपीते की खेती
हिन्दुस्तान टीम,धनबादThu, 03 Sep 2020 03:52 AM
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संकट के समय में भी धैर्य के साथ कुछ करने की कोशिश की जाए तो सफलता पाई जा सकती है। धनबाद के बांद्रबाद गांव के पांच युवकों ने यह साबित कर दिया है। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से अपने गांव लौटे ये युवक पपीते की खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं। 250-300 रुपए में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले ये युवक अब प्रति दिन तीन-चार हजार रुपए का पपीता बेच लेते हैं।

कलियासोल प्रखंड के बांद्राबाद गांव के युवक दिल्ली में कंस्ट्रक्शन कंपनी में 300 रुपए पर दिहाड़ी मजदूरी करते थे। लॉकडाउन में काम बंद होने पर सभी अपने गांव लौट आए। गांव में रोजगार की बड़ी समस्या थी। इन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए ताकि उनके और उनके परिवार का आर्थिक संकट दूर हो सके। नेपाल कुम्हार और सनोज सहिस ने बताया कि इसी बीच हमलोगों का संपर्क गांव बचाओ अभियान चला रहे रवि निषाद और रंजीत कुमार से हुआ। इनलोगों ने ही गांव में पपीते की ऑरगेनिक खेती का सुझाव दिया।

लीज पर ली जमीन : पपीते की खेती की योजना तो बन गई, लेकिन इनलोगों के पास पर्याप्त जमीन नहीं थी। युवकों ने गांव के ही एक व्यक्ति से दो एकड़ जमीन लीज पर ली। यह जमीन बंजर जैसी थी। दिन-रात एक कर इन युवकों ने जमीन को तैयार कर खेती लायक बनाया और अप्रैल महीने में पपीते के 1500 पौधे लगाए। अप्रैल में लगाए गए पपीते के पौधे पूरी तरह तैयार हो गए हैं और उपज भी अच्छी हो रही है। हर दिन 3-4 हजार रुपए का पपीता बिक रहा है। पपीते की खेती करने में इन्हें 50 हजार रुपए का खर्च आया था।

धनबाद के विक्रेता खुद करने लगे संपर्क

युवकों को ऑरगेनिक खेती की ट्रेनिंग देने वाले रवि निषाद कहते हैं कि 50 हजार रुपए की पूंजी में दो लाख रुपए का ऑरगेनिक पपीता तैयार हो गया है। बाजार की भी समस्या नहीं है। धनबाद के फलों के थोक और खुदरा विक्रेता खेत में पहुंचकर पपीता खरीदकर ले जा रहे हैं।

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