धनबाद विशेष संवाददाता
बेलगड़िया के अनुभव से झरिया पुनर्वास की योजना में व्यापक बदलाव किया जा रहा है। बहुमंजिली इमारत में आवास लेना जिन विस्थापितों को पसंद नहीं है, उनके लिए प्लॉट का भी प्रावधान किया जा रहा है। कोयला क्षेत्र के आसपास विस्थापितों के लिए कई स्मार्ट सिटी बसाने की योजना बन रही है। एक स्मार्ट सिटी के लिए न्यूनतम 25 एकड़ जमीन के प्रावधान का प्रस्ताव है। बीसीसीएल एवं जेआरडीए अधिकारियों की बैठक में इसपर गंभीरता से मंथन किया गया है। 16 को रैयतों से संवाद के बाद आए विचार को शामिल कर स्मार्ट सिटी का प्रस्ताव इसी महीने कोयला मंत्रालय को भेजा जाएगा।
धनबाद डीसी सह जेआरडीए के एमडी उमाशंकर सिंह एवं बीसीसीएल सीएमडी गोपाल सिंह स्मार्ट सिटी के प्रस्ताव को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। मामले पर बीसीसीएल सीएमडी ने हिन्दुस्तान को बताया कि रैयतों से संवाद से पहले पुनर्वास पर एक और बैठक होगी। कुल 22 सौ एकड़ जमीन की दरकार है, जिसमें 15 सौ एकड़ जमीन को लगभग चिह्नित किया जा चुका है। गठित कमेटी अगली बैठक में इसपर रिपोर्ट सौंपेगी। विस्थापितों का पुनर्वास उनके अनुसार करने पर जोर है। इसलिए जिन्हें बहुमंजिली यानी अपार्टमेंटनुमा आवास में रहना पसंद नहीं है, उनके लिए प्लॉट का प्रावधान किया गया है। बेलगड़िया को दूर बता लोग जाना नहीं चाहते। इसे ध्यान में रखते हुए अब जिस भी जमीन को चिह्नित किया जा रहा है या किया जाएगा, वह कोयला क्षेत्र के दो-ढाई किलोमीटर दूरी पर हो। झरिया, बाघमारा, कतरास सहित कई इलाकों में जमीन चिह्नित किया जा रहा है। 16 जनवरी के बाद कोयला मंत्रालय को रिपोर्ट भेज दी जाएगी। मंत्रालय से स्वीकृति के बाद तेजी से पुनर्वास का काम शुरू किया जाएगा।
स्मार्ट सिटी से आशय यह है कि विस्थापितों को सभी जरूरी सुविधाएं नए घर में निर्बाध रूप से मिले। इसकी स्थायी व्यवस्था की जाएगी। सड़क, पानी, बिजली पहली शर्त है। इन सुविधाओं की बहाली के बाद काम शुरू किया जाएगा। बिना किसी जोर जबरदस्ती के विस्थापितों की इच्छा के अनुसार पुनर्वास की दिशा में प्रयास किया जा रहा है।