Lost Boy Reunited with Family After 22 Years Heartwarming Story from Dhanbad आठ साल का गायब बच्चा 22 साल बाद युवावस्था में परिवार से मिला, Dhanbad Hindi News - Hindustan
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आठ साल का गायब बच्चा 22 साल बाद युवावस्था में परिवार से मिला

धनबाद में 22 साल बाद एक खोया हुआ बच्चा अपने परिवार से मिला। सोनू कुमार, जो 2004 में गायब हो गया था, एक दुर्घटना के बाद धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती हुआ। उसके पिता ने उसे पहचान लिया और भावुक...

Newswrap हिन्दुस्तान, धनबादSun, 14 Sep 2025 05:30 AM
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आठ साल का गायब बच्चा 22 साल बाद युवावस्था में परिवार से मिला

धनबाद, अमित रंजन यह घटना किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। 22 साल पहले घर से बिछड़ा एक बच्चा, युवावस्था में अपने परिवार से मिला है। किसी के भी दिल को छू लेने वाली करुणा और खुशी का ऐसा संगम शनिवार को धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जरी वार्ड में हुआ है। बिहार के भागलपुर जिले के नवगछिया स्थित पकड़ा गांव निवासी हरिशंकर प्रसाद सिंह का बेटा सोनू कुमार उर्फ मनोज कप्तान अप्रैल 2004 में बिहार के ही रक्सौल से गायब हो गया था। महज आठ-नौ साल का सोनू अपनी बुआ निर्मला देवी के घर रक्सौल में रहता था। बुआ किसी रिश्तेदार के घर गई थीं।

लौटीं तो सोनू गायब था। उसके लापता होने की खबर रक्सौल से भागलपुर पहुंची तो पूरे परिवार में कोहराम मच गया। परिवार ने गांव-गांव, शहर-शहर और यहां तक कि नेपाल तक सोनू को ढूंढ़ा, मगर कहीं कोई सुराग नहीं मिला। बेटे को याद करते-करते चल बसी मां बेटे की जुदाई का दर्द इतना गहरा था कि मां उसे याद करते-करते दो साल पहले चल बसी। चार बच्चों में सोनू दूसरे नंबर पर था। पिता हरिशंकर प्रसाद सिंह भी टूट गए। वर्षोँ बीत गए और घर-आंगन से हंसी-खुशी लगभग गायब हो गई। बच्चे बड़े होते गए और उनकी अपनी गृहस्थी बनती चली गई। इन सबके बीच एक बेटे के गायब होने की टीस हरिशंकर के सीने में हमेशा उठती रही। बेटे को देखते ही पिता ने सीने से लगाया शुक्रवार की शाम इस परिवार की किस्मत ने अचानक करवट ली। हरिशंकर को एक तस्वीर दिखाई गई। बताया गया कि यह उनका खोया बेटा सोनू है और धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती है। हरिशंकर सन्न रह गए। पूरा परिवार उम्मीद और घबराहट के साथ अगले दिन धनबाद पहुंचा। सोनू को पहचाना। बेटे को देखते ही पिता की भावनाओं का बांध टूट गया। हरिशंकर दहाड़ मारकर रो पड़े और सोनू को सीने से लगा लिया। हरिशंकर के साथ उनका बेटा धीरज कुमार, भाई जितेन्द्र कुमार, सुदेश शुभम और रोशन भी आए थे। यह पल पूरे परिवार के लिए किसी वरदान से कम नहीं था। हरिशंकर कहते हैं, सब कहते थे सोनू अब नहीं है, पर उसकी मां यह मानने को तैयार नहीं थी। जब तक जिंदा रही, अपने तीन बेटों के साथ सोनू के लिए जितिया करती रही। बेटा इसी पर्व के दिन मिला। सोनू ने सुनाई दास्तान सोनू की दास्तान भी उतनी ही दर्दनाक है। उसने बताया कि रक्सौल से कोई उसे अपने साथ गोरखपुर ले गया था। वहां उससे करीब आठ-दस साल मजदूरी कराया गया। तब तक वह बड़ा हो गया था। इस दौरान धीरे-धीरे घर की यादें धुंधली पड़ने लगीं। इसके बाद उसे चेन्नई ले जाया गया। वहां भी पांच-छह साल मेहनत-मजदूरी में बीते। फिर झरिया लाया गया और यहां एक सेठ के यहां काम पर लगा दिया गया। छह-सात साल से वह यहीं था। इसी दौरान एक हादसे में घायल हो गया और उसे धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। पिछले डेढ़ साल से वह यहीं लावारिस की तरह भर्ती था। जब अस्पताल में सोनू का परिवार पहुंचा तो माहौल गम और खुशी से भर गया। वर्षों की तड़प और प्रतीक्षा के बाद पिता को बिछड़ा बेटा और बेटे को पिता का वापस मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं था। शनिवार को परिवार उसे लेकर अपने गांव रवाना हुआ। घरवालों के अनुसार गांव में भी लोग उसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। दीपक की पहल से परिवार हुआ रोशन सोनू का उसके परिवार से मिलन की कड़ी अस्पताल कर्मी दीपक सिंह रहा। दीपक ने बताया कि गुरुवार की सुबह एक मरीज उसके सामने से घसीटता हुआ जा रहा था। रोक कर उससे पूछताछ की। उसने अपना नाम सोनू बताया। काफी याद कर बताया कि वह भागलपुर के नवगछिया का है। भूमिहार ब्राह्मण परिवार का है। गांव का नाम नहीं बता पाया। दीपक ने उसकी तस्वीर साथ सारी जानकारी भागलपुर में अपने रिश्तेदार को भेजी। सोशल मीडिया की मदद से दीपक के रिश्तेदार ने नवगछिया के कुछ भूमिहार ब्राह्मण परिवार तक जानकारी पहुंचा दी। रात में दीपक के पास सोनू के घरवालों का कॉल आया और जानकारी ली। दूसरे दिन शाम को सभी अस्पताल पहुंच गए।

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