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चिटाही धाम को जानेवाली सड़क में भू-धंसान, दहशत में लोग

नॉर्थ खास के समीप मुराईडीह हीरक सड़क से रामराज मंदिर को जोड़ने वाली नवनिर्मित सड़क के किनारे शनिवार की देर रात पुनः भू-धंसान हो जाने से स्थानीय लोगों...

चिटाही धाम को जानेवाली सड़क में भू-धंसान, दहशत में लोग
Newswrap हिन्दुस्तान, धनबादSun, 4 Aug 2024 09:30 PM
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बरोरा, प्रतिनिधि
नॉर्थ खास के समीप मुराईडीह हीरक सड़क से रामराज मंदिर को जोड़ने वाली नवनिर्मित सड़क के किनारे शनिवार की देर रात पुनः भू-धंसान हो जाने से स्थानीय लोगों में दहशत है। पहले शनिवार की शाम को सड़क के एक किनारे भू-धंसान हुआ। देर रात दूसरी तरफ भी भू-धंसान हो गया। रविवार की सुबह जब लोगों को पता चला तो लोग दहशत में आ गए। कोयला खनन क्षेत्र होने के कारण मामला गंभीर है।

सूचना पर बीसीसीएल के अधिकारी सक्रिय हुए। एएमपी कोलियरी के पीओ काजल सरकार के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम घटनास्थल पहुंची। इसके बाद भू-धंसान स्थल को भरने का कार्य युद्धस्तर पर शुरू कर दिया गया। सुरक्षा के दृष्टिकोण से ओबी गिराकर सड़क मार्ग को अवरुद्ध कर दिया गया। इसके बाद रोलर ड्रिल मशीन से सुरंग वाले हिस्सा को काटने काम शुरू किया गया। अधिकारियों के अनुसार ड्रिलिंग के बाद गड्ढा व सुरंग में ओबी डालकर उसे समतल और ठोस किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर सड़क के कुछ हिस्से को काट कर उक्त जगह को ठोस कर पुनः सड़क का निर्माण किया जाएगा। फिलहाल ड्रिलिंग का काम बड़ा बोल्डर मिलने से धीरे-धीरे चल रहा है। घटनास्थल पर सेफ्टी ऑफिसर पी पांडे, इंजीनियर मनोज कुमार और नोडल अधिकारी नवल किशोर महतो समेत अधिकारियों की टीम पहुंची थी। पथ निर्माण विभाग, धनबाद के कार्यपालक अभियंता मिथलेश कुमार रविवार की दोपहर नवनिर्मित सड़क किनारे हुए भू-धंसान स्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।

घटनास्थल पर अजीब नजारा देखने को मिला। सुरक्षा की प्रवाह किए बिना ग्रामीण ओबी में कोयला चुनने लगे। बाद में बीसीसीएल कर्मियों ने लोगों को भगाया। भराई के लिए कोयला मिश्रित ओबी गिरने से कोयला चुनने के लिए स्थानीय ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। सुरक्षा के दृष्टिकोण से अधिकारियों को स्वयं ग्रामीणों को भगाने के लिए आगे आना पड़ा।

घटनास्थल के नीचे पहले कोयले की भूमिगत माइंस थी

घटनास्थल के कुछ ही दूरी पर 1970 की दशक में सलेक्टेड मुराईडीह के नाम से प्राइवेट कंपनी की भूमिगत खदान चलता था। वर्ष 1973 में प्राइवेट कंपनी का राष्ट्रीयकरण होने के कुछ वर्ष बाद 1980 के दशक में इस खदान को बंद कर दिया गया था। इसी बंद भूमिगत खदान की मिट्टी में दबे पुराने पंखा घर के मुहाना को खोलकर एक वर्ष पहले कोयला चोर अवैध खनन भी कर रहे थे, जिसके कारण जमीन के नीचे का अधिकांश भाग पूरी तरह खोखला हो गया है।

वैकल्पिक रास्ता नहीं होने से श्रद्धालुओं को परेशानी

सड़क बंद होने से रामराज मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं और राहगीरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इस रूट में कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं बनाया गया है। फिलहाल राहगीर मजबूरन सड़क के समीप स्थित कीचड़नुमा खेत से गुजर कर जा रहे हैं।

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