एक वोट के लिए वो इस कदर आभारी थे.....
एक वोट के लिए वो इस कदर आभारी थे...समझ नहीं आया कि वो नेता थे कि भिखारी थे।
एक वोट के लिए वो इस कदर आभारी थे...समझ नहीं आया कि वो नेता थे कि भिखारी थे। नेताओं पर कटाक्ष करने वाले ऐसे ही कविताओं के साथ आईआईटी धनबाद में वासंतिक काव्यांजलि का आयोजन किया गया। रविवार को कार्यक्रम का उद्घाटन आईआईटी बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष धनुषधारी मिश्र ने किया। मौके पर प्रो. डीसी पाणिग्रही, डीजीएमएस के निदेशक मलय टीकेदार, प्रो प्रमोद पाठक, विनोद रजक मौजूद थे। अतिथियों का परिचय हरि रंजन सिंह और राजेश अनुभव ने कराया। झारखंड के अलग-अलग जिलों से आए कवियों ने काव्य पाठ कर दर्शकों को कभी हंसाया तो कभी व्यवस्था पर सोचने को मजबूर किया। कवि राजेश पाठक की चार लाइनें...घर चाहिए न कोई द्वार चाहिये, देश को ऊंचाइयों का ज्वार चाहिए। इसपर जमकर तालियां बजी। धनबाद की कवयित्री डा. मीतू सिन्हा ने सुनाया एक वोट के लिए वो इस कदर आभारी था, समझ न आया कि नेता था या भिखारी था। नेताओं पर कटाक्ष करने वाले इस व्यंग्यात्मक कविता पर खूब ठहाके लगे। कवि आफताब अंजुम ने प्रेम में डूबी चार पंक्तियां पढ़कर माहौल को खुशनुमा बना दिया। उनके बोल थे ..लबों पर मोहब्बत का मैगाम लेकर, मैं जीता हूं हरपल तेरा नाम लेकर। कार्यक्रम को सफल बनाने में दिनेश रविकर, अजय मिश्र धुनी, संगीता नाथ, अनंत महेंद्र, मंजू शरण, शालिनी खन्ना समेत अन्य शामिल हैं।