कोयला अफसरों की उम्र 50 साल होने के छह माह पहले उनकी नौकरी खतरे में आ जाएगी। 35 साल की उम्र के पहले नौकरी ज्वाइन करने वाले अफसरों के काम की समीक्षा 50 साल पूरा होने के छह माह पहले से शुरू हो जाएगी। अफसरों के कामकाज की समीक्षा हर साल होगी। यह प्रक्रिया 59 साल के होने तक चलेगी। रिपोर्ट निगेटिव हुई तो नौकरी जा सकती है।
कोल इंडिया ने प्रीमैच्योर रिटायरमेंट संबंधी पूर्व के प्रावधान में संशोधन करते हुए कोयला अफसरों की नौकरी की राह को कठिन कर दिया है। यानी बोझ बने अफसरों का पत्ता साफ होगा। हालांकि प्रीमैच्योर रिटायरमेंट की स्थिति में मिलने वाले वित्तीय लाभ पहले की तरह है। इसमें कोई संशोधन नहीं किया गया है।
संशोधित आदेश के अनुसार 35 साल की उम्र के बाद योगदान करनेवालों के परफार्मेंस की समीक्षा 55 साल उम्र पूरी होनी के छह माह पहले से शुरू होगी। इस दायरे में चिकित्सा कैडर यानी डॉक्टर आएंगे। कुछ जीएम रैंक के अफसर भी होंगे, जिनकी नियुक्ति 35 साल से ज्यादा उम्र में 2011 में हुई थी।
अफसरों का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा और अनुशासनहीनता, मेडिकल स्थिति, अनुपस्थिति आदि का आरोप लगा तो नौकरी पर खतरा ज्यादा होगा। जो अफसर विजिलेंस के मामलों में आरोपी हैं या भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं उनकी नौकरी संशोधित आदेश से जाना तय समझिए।
कोल इंडिया के कार्मिक महाप्रबंधक (नीति ) नीला प्रसाद ने संशोधन आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार अफसरों के कामकाज की समीक्षा हर तीन-तीन माह के कार्य को पैमाना मानकर किया जाएगा। समझ लीजिए 50 से 59 साल के बीच अफसरों को काम के प्रति ज्यादा गंभीर होना होगा। अफसरों के काम की समीक्षा दो स्तरों पर होगी। फर्स्ट कमेटी जो अनुषंगी कंपनी के स्तर पर (एफडी या बोर्ड) तो कोल इंडिया स्तर पर रिब्यू कमेटी गौर करेगी। कोयला अफसरों को अब उनकी अप्रेजल रिपोर्ट जारी भी होगी ताकि अफसर अपनी स्थिति और कार्यक्षमता के प्रति अलर्ट रहें।