विकसित भारत 2047 के लिए कोयला मंत्रालय का विजन 2030 पर फोकस
कोयला मंत्रालय रणनीतिक योजना और कार्यान्वयन से कोयला क्षेत्र में बदलाव की तैयारी में है। 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य के लिए कोल कंपनियों को विजन 2030 पर फोकस करने को कहा गया है। 2030 तक 1.5 बिलियन...
धनबाद। विशेष संवाददाता कोयला मंत्रालय रणनीतिक योजना और कार्यान्वयन के माध्यम से भारत के कोयला क्षेत्र में बदलाव की तैयारी में है। बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाने और हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर इस लक्ष्य को हासिल किया जाएगा। 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कोयला मंत्री ने कोल कंपनियों को विजन 2030 पर फोकस करने को कहा है। दिल्ली में कोल कंपनियों के सीएमडी के साथ कोयला मंत्री ने इस दिशा में त्वरित कार्रवाई को कहा है ताकि 2030 तक 1.5 बिलियन कोयला उत्पादन संभव हो सके।
बैठक में मौजूद आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में कोल सेक्टर की अहम भूमिका होगी। भारत में कोयला ऊर्जा का अहम स्रोत है। भारत के कोयला निकासी बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के तहत कोयला मंत्रालय ने लॉजिस्टिक परियोजनाओं के विकास को तेजी से ट्रैक करने के उद्देश्य से एक व्यापक रणनीतियों की घोषणा की है। कोयला मंत्रालय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की समय पर प्रगति को प्रभावित करने वाले कारणों की पहचान करने के लिए रेल मंत्रालय, राज्य सरकारों और विभिन्न एजेंसियों के साथ मिलकर काम शुरू किया है। बुनियादी ढांचा उत्पादन वृद्धि के साथ तालमेल रखता है, वित्तीय वर्ष 2030 तक 1.5 बिलियन टन कोयला उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करना प्राथमिकता। बताया गया कि पीएम गति शक्ति पहल के माध्यम से मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं निर्बाध कोयला निकासी के लिए अंतरमंत्रालयी प्रयास भी हो रहे हैं। कोयला निकासी के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने, भारत के जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं को अपनाना भी उद्देश्य है।
इनपर फोकस
रेल परिवहन में मॉडल बदलाव : वित्त वर्ष 2030 तक कोयले के लिए रेल परिवहन की मॉडल हिस्सेदारी को 64% से बढ़ाकर 75% करना, जिससे सड़क पर भीड़भाड़ कम होगी और पर्यावरणीय स्थिरता बढ़ेगी। मंत्रालय ने 38 प्राथमिकता वाली रेल परियोजनाओं की पहचान की है जिन्हें रेल मंत्रालय के साथ निकट समन्वय में तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। ये परियोजनाएं रेल कनेक्टिविटी में सुधार और देश भर में बिजली संयंत्रों और उद्योगों को समय पर कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
अनिवार्य मशीनीकृत कोयला हैंडलिंग सुविधाएं: प्रति वर्ष 2 मिलियन टन (एमटी) से अधिक उत्पादन करने वाली सभी बड़ी कोयला खदानों को अगले पांच वर्षों के भीतर मशीनीकृत कोयला हैंडलिंग सुविधाएं लागू करने की आवश्यकता होगी। इस कदम का उद्देश्य परिचालन दक्षता को बढ़ाना, सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों को सुनिश्चित करना और कोयला परिवहन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है।