नेपाल और चीन की सीमा पर खतरनाक रास्ते को बना रहा आईआईटी
पिछले कुछ दिनों से भारत के दो पड़ोसी देश चीन और नेपाल से संबंधों में खटास आई है। सीमा पर हुई झड़प के बाद से ही दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव का माहौल...
पिछले कुछ दिनों से भारत के दो पड़ोसी देश चीन और नेपाल से संबंधों में खटास आई है। सीमा पर हुई झड़प के बाद से ही दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव का माहौल है। इस तनाव भरे माहौल में भी आईआईटी धनबाद की टीम भारत-चीन तथा भारत-नेपाल की सीमा के बीच सड़क का निर्माण करने में तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है।
आईआईटी धनबाद के प्रो एके मिश्रा ने बताया कि एक तरफ नदी और दूसरी तरफ पहाड़ों के साथ, किसी भी समय भूस्खलन की घातक संभावना के बीच, ऐसे क्षेत्रों में निर्माण कार्य करना निश्चित रूप से आसान काम नहीं है। आईआईटी आईएसएम धनबाद भारत-नेपाल सीमा पर धारसूला तक और भारत-चीन सीमा बद्रीनाथ और अरुणाचल प्रदेश तक एक सड़क बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। टीम में शामिल प्रो एके मिश्रा और खनन इंजीनियरिंग विभाग के डॉ बीएस चौधरी ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के अधिकारियों को खुद सीमा पर रहकर नियंत्रित ब्लास्टिंग के बारे में तकनीकी प्रशिक्षण दिया।
नियंत्रित ब्लास्टिंग से पहाड़ों को काटकर बना रहे रास्ता
टीम के सामने आनेवाली समस्याओं के बारे में बताते हुए प्रोफेसर एके मिश्रा ने कहा कि स्थान की दुर्गम प्रकृति के कारण उनके सामने पहली बाधा सड़क निर्माण के लिए मैनपावर ढूंढ़ना था। कई किलोमीटर तक कोई भी गांव नजर में नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि आईआईटी (आईएसएम) के निदेशक धनबाद प्रो राजीव शेखर के मार्गदर्शन में नियंत्रित ब्लास्टिंग की तकनीक को चुना गया था। इसके अलावा उन्होंने विस्तार से बताया कि हर ब्लास्टिंग के बाद भूस्खलन होने की संभावना थी, इसलिए ब्लास्टिंग प्रक्रिया के 24 घंटे बाद ही साइट का दौरा किया जा सकता था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पहाड़ में अधिकतम 4 मीटर की गहराई के छिद्र बनाने के लिए 1.5 मीटर की गहराई और रिमोट नियंत्रित ड्रिल के लिए मैनुअल ड्रिल का उपयोग करना था और सड़क के निर्माण के साथ आगे बढ़ना था।