कुमारधुबी के बालाजी रिफैक्ट्री में मजदूर की मौत
कुमारधुबी के त्रिपति बालाजी रिफैक्ट्री में काम करते समय दैनिक मजदूर ललन भूइंया (30) की करंट लगने से मौत हो गई। रिफैक्ट्री संचालक की लापरवाही के खिलाफ परिजनों ने प्रदर्शन किया और दस लाख मुआवजे की मांग...

कुमारधुबी, प्रतिनिधि। कुमारधुबी के बरडंगाल स्थित त्रिपति बालाजी रिफैक्ट्री में सोमवार के सुबह लोहे की सीढ़ी से गिरकर दैनिक मजदूर ललन भूइंया (30) की मौके पर ही मौत हो गई। करंट लगने से उसकी मौत होने की बात कही जा रही है। उसे स्थानीय नर्सिंग होम ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने जांच कर उसे मृत घोषित कर दिया। घटना की सूचना मिलते ही कुमारधुबी पुलिस नर्सिंग होम पहुंची। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए धनबाद भेज दिया। वहीं सूचना पाकर परिजन रिफैक्ट्री पहुंचे। ललन की मौत के लिये रिफैक्ट्री संचालक को दोषी माना और हंगामा किया। दस लाख मुआवजा की मांग करते हुए एक घंटे तक प्रदर्शन किया। बाद में साढ़े तीन लाख मुआवजा देने पर सहमति बनी। रिफैक्ट्री संचालक द्वारा मृतक की मां को पचास हजार नगद व डेढ़ डेढ़ लाख का दो चेक दिया गया। घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि जुनकूंदर निवासी मृतक ललन काम करने के दौरान लोहे की सीढ़ी पर चढ़ा। बिजली का तार एक जगह नंगा था। जिससे सीढ़ी में करंट आ गया था। मृतक ललन करंट की चपेट में आ गया। जब तक वहां कार्यरत मजदूर कुछ समझ पाते मौके पर ही उसकी मौत हो गयी। मृतक के पिता जुनकुंदर निवासी कुलेजन भूइयां ने बताया की बेटा ललन रोजाना की तरह सुबह काम करने रिफैक्ट्री गया था। कुछ देर बाद उन्हें सूचना मिली की वह बीमार है व एक निजी नर्सिंग होम में उसका इलाज चल रहा है। रिफैक्ट्री आने पर पता चला कि दुर्घटना में उसकी मौत हो गई है। मृतक ललन बड़ा बेटा था। एक छोटा बेटा तथा दो बेटी भी है। कहा कि रिफैक्ट्री प्रबंधक की लापरवाही से उसके ललन की मौत हुई है। मजदूरों ने कहा कि पत्थर पिसाई करने के लिए जैसे ही वह लोहे की सीढ़ी पर चढ़ा उसे करंट लग गया। सीढ़ी के पास से एक तार गया हुआ था जो कटा रहने के कारण सीढ़ी में सट गया और पूरी सीढ़ी में करंट आ गया।
घटना से दहशत में हैं मजदूर
रिफैक्ट्री में कार्यरत मजदूरों में घटना के बाद दहशत का माहौल है। दबी जुबान से कहा कि काम के दौरान सुरक्षा का कोई ध्यान नहीं रखा जाता है। सुरक्षा के लिये टोपी जूता व अन्य सामान नहीं दिया जाता है। प्राथमिक उपचार व एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं है। उचित काम का उचित दाम (मजदूरी) नहीं दी जाती है। अपना और परिवार का पेट भरने के लिये जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ता है।
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