आधे से अधिक बेड पर नहीं पहुंच रही ऑक्सीजन
धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इमरजेंसी और सर्जिकल आईसीयू वार्ड में मरीजों को पर्याप्त ऑक्सीजन बेड नहीं मिल रहे हैं। इमरजेंसी ब्लॉक के 31 ऑक्सीजन बेड में से 16 पर ऑक्सीजन नहीं पहुंच पा रही है।...
धनबाद, अमित रंजन बेहतर चिकित्सा सुविधा का दावा करनेवाला धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन मरीजों को पर्याप्त ऑक्सीजन बेड भी नहीं दे पा रहा है। वह भी इमरजेंसी और सर्जिकल आईसीयू जैसे संवेदनशील वार्ड में। यहां अधिकांश मरीज गंभीर होते हैं। इमरजेंसी ब्लॉक के कुल 31 ऑक्सीजन बेड में 16 पर ऑक्सीजन नहीं पहुंच पा रही है।
बता दें कि अस्पताल की इमरजेंसी ब्लॉक में 30-30 बेड का मेल और फीमेल वार्ड है। इसके अलावा 12 बेड का सर्जिकल आईसीयू है। सर्जिकल आईसीयू के सभी बेड ऑक्सीजन सपोर्टेड हैं। इसमें सात पर ऑक्सीजन नहीं पहुंच पा रहा है। सिर्फ पांच बेड पर जंबो सिलेंडर से ऑक्सीजन पाइपलाइन के मार्फत ऑक्सीजन पहुंच रहा है। मेल इमरजेंसी वार्ड के 30 बेड में 10 पर ऑक्सीजन आपूर्ति की सुविधा है। इसमें सात पर ऑक्सजन नहीं पहुंच रही है। सिर्फ तीन बेड पर पाइपलाइन से ऑक्सीजन आपूर्ति हो पाती है। फीमेल वार्ड की स्थिति कुछ बेहतर है। यहां 9 बेड पर ऑक्सीजन आपूर्ति की सुविधा है। इसमें दो खराब है। सात बेड पर ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है। यानी कुल 72 बेड वाले इमरजेंसी ब्लॉक में 31 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड है। इसमें 16 बेडों पर ऑक्सीजन नहीं पहुंच रही है।
रेगुलेटर में खराबी
डॉक्टरों की मानें तो इमरजेंसी के अधिकांश ऑक्सीजन बेड पर ऑक्सीजन आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए लगाया गया रेगुलेटर खराब हो गया है। यह बहुत कम खर्च वाली मामूली समस्या है। इसे बनवाने के लिए प्रबंधन को कई बार कहा जा चुका है। बावजूद इसे ठीक नहीं कराया जा रहा है।
मरीजों के लिए खरनाक
डॉक्टरों का यह भी कहना है कि ऑक्सीजन आपूर्ति की इस छोटी सी समस्या मरीजों के लिए खतरनाक हो सकती है। खासकर सर्जिकल आईसीयू के मरीजों के लिए। वहां गंभीर मरीज भर्ती होते हैं। उन्हें ऑक्सीजन मिलने में थोड़ी देरी से भी उनकी जान पर बन सकती है।
ऐसे चल रहा काम
- मरीज अधिक होने पर छोटे सिलेंडर से उन्हें ऑक्सीजन दी जाती है।
- जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का इस्तेमाल किया जाता है।
- मरीजों को कैथलैब बिल्डिंग में भर्ती किया जाता है।
मरीजों को ऑक्सीजन देने के लिए इमरजेंसी में कई वैकल्पिक व्यवस्था है। रेगुलेटर खराब होता रहता है। अभी कुछ खराब है, जिसे जल्द बनवा लिया जाएगा। प्रक्रिया चल रही है।
- डॉ. डीके गिंदोडिया, प्रोफेसर इंचार्ज, इमरजेंसी
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