चेन्नई से पहुंचे धनबाद, देवघर की नहीं मिली रही सवारी
संपादक जी के निर्देश पर बनी खबर, संथाल परगना के एडिशन में भी लगाई जा सकती...
चेन्नई से पहुंचे, देवघर की नहीं मिली रही सवारी
धनबाद। मुख्य संवाददाता
दक्षिण भारत में लॉकडाउन की सख्ती और उद्योग-धंधे पर तालों के कारण प्रवासी मजदूरों का घर लौटने का सिलसिला जारी है। धनबाद के अलावा कोयलांचल और संताल परगना के मजदूर बड़े पैमाने पर एलेप्पी एक्सप्रेस से लौट रहे हैं। यहां से दूसरे जिलों के लोग बस पकड़कर अपने घर जाते थे, लेकिन 16 मई से झारखंड में बंद बस सेवा के कारण मजदूरों को परेशानी हो रही है। सोमवार की सुबह 10.23 बजे एलेप्पी स्पेशल से सैकड़ों लोग दक्षिण भारत से धनबाद पहुंचे। धनबाद के यात्री तो ऑटो में बैठकर आराम से अपने-अपने घर के लिए निकल गए, लेकिन संताल परगना और गिरिडीह जाने वाले दर्जनों मजदूर सवारी की राह में फंस गए। मजदूर ऑटो वालों से गिरिडीह, जामताड़ा, मधुपुर, देवघर, दुमका और साहिबगंज चलने को कह रहे थे। ज्यादातर ऑटो चालकों ने तो ई-पास की बात कहकर मना कर दिया, लेकिन कुछ ऑटो चालक पांच सौ रुपए एकमुश्त और प्रति किलोमीटर 12 से 15 रुपए लेकर मजदूरों को आपपास के जिलों में पहुंचाने की बुकिंग की। दोपहर एक बजे तक संताल परगना जाने के लिए कई मजदूर स्टेशन रोड में सवारी खोजते रहे। बाद में उन्हें बताया गया कि शाम में बाबाधाम इंटरसिटी से वे लोग जसीडीह और देवघर जा सकेंगे। देर रात दुमका के लिए भी इंटरसिटी ट्रेन है। इसके बाद मजदूरों ने धनबाद आरक्षण कार्यालय के काउंटर से इन ट्रेनों की टिकट बुक कराई और ट्रेन का इंतजार करने लगे।
भूखे-प्यासे भटकने को मजबूर हैं मजदूर
देवघर के मोहनपुर प्रखंड के बलथर निवासी रतन कुमार और राहुल कुमार ने बताया कि वे करीब 19 लोग चेन्नई से साथ धनबाद आए। वहां धागे की फैक्ट्री में काम करते थे। तीन सप्ताह पूर्व फैक्ट्री बंद हो गई। पैसे खत्म हो रहे थे, सो घर लौट आए। पिछली बार देर से निर्णय लेने के कारण चेन्नई में फंस गए थे। सैकड़ों किलोमीटर का सफर कर धनबाद तो आ गए, अब अपने ही प्रदेश में घर जाने में परेशानी हो रही है। मजदूर भूखे-प्यासे हैं। भीषण गर्मी में चार दिन से नहा भी नहीं सके हैं। जब स्टेशन पर कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आई तो उन्हें बस पर बैठने से क्यों रोका जा रहा है। अब मजदूर ई-पास कहां से लाएंगे।