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बेटियां नहीं बेटों से कम, ट्रेन संचालन में दिखाएंगी दम

इन बेटियों ने भले ही कभी सड़क पर बाइक की सवारी नहीं की, लेकिन बहुत जल्द इनके इशारे पर रेल गाड़ियां पटरी पर सरपट दौड़ लाएंगी। ट्रेन ऑपरेशन जैसे जटिल काम की चुनौती स्वीकार कर बेटियों ने बताया दिया है...

बेटियां नहीं बेटों से कम, ट्रेन संचालन में दिखाएंगी दम
हिन्दुस्तान टीम,धनबादThu, 19 Jul 2018 01:41 AM
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इन बेटियों ने भले ही कभी सड़क पर बाइक की सवारी नहीं की, लेकिन बहुत जल्द इनके इशारे पर रेल गाड़ियां पटरी पर सरपट दौड़ लाएंगी। ट्रेन ऑपरेशन जैसे जटिल काम की चुनौती स्वीकार कर बेटियों ने बताया दिया है कि अब वे बेटों से किसी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। रेलगाड़ियों के संचालन में लगातार बेटियों की भागीदारी बढ़ रही है। धनबाद रेल मंडल को रांची आरआरबी और मुजफ्फरपुर आरआरबी से छह महिला गार्ड और छह महिला स्टेशन मास्टर मिली हैं।

आरआरबी की परीक्षा पास करने के बाद महिला गार्ड और महिला असिस्टेंट स्टेशन मास्टरों ने ट्रेनिंग पूरी कर ली है। फिलहाल, सभी प्रशिक्षित महिलाकर्मी पोस्टिंग के इंतजार में हैं। अगले सप्ताह से सभी ट्रेन संचालन की कमान संभालेंगी। हाल ही में धनबाद डिवीजन को 11 महिला असिस्टेंट लोको पायलट भी मिली थीं। पुरुषों की जागीर मानी जाने वाली रेलवे की इन नौकरियों में चयनित होकर ये बेटियां दूसरों के लिए नजीर पेश कर रही हैं। रेलवे के वाणिज्य विभाग में पहले से महिला रेलकर्मियों का दबदबा है। कॉमर्शियल में 35 महिला क्लर्क हैं, इनमें ज्यादातर धनबाद बुकिंग ऑफिस में पदस्थापित हैं। इस तरह धनबाद स्टेशन पर टिकट चेकिंग में पूरी तरह से महिलाओं का दबदबा है। 17 महिला टीसी और टीटीई टिकट चेकिंग में लगाई गई हैं, जबकि सात स्टेशन मास्टर धनबाद में पहले से काम कर रही हैं। बुधवार को पोस्टिंग के सिलसिले में डीआरएम ऑफिस पहुंचीं नई महिला स्टेशन मास्टरों की आंखों की चमक बता रही थी कि वे अपनी नई पारी को लेकर कितनी उत्साहित हैं। रांची की रश्मी रानी ने बताया कि वे रांची में गेस्ट फैकल्टी के रूप में पोस्ट ग्रेजुएशन की क्लास ले रही थीं। इस तरह धनबाद कार्मिक नगर की नेहा कुमारी, रांची की रजनी कुमारी और मुजफ्फरपुर की सुधा कुमारी भी निजी तौर पर शिक्षण क्षेत्र में ही योगदान दे रही थीं। नई एएसएम ने ट्रेन संचालन की ट्रेनिंग को जीवन का सबसे अच्छा और अनूठा अनुभव बताया। उन्होंने बताया कि रेलवे विश्व की बड़ी नियोक्ता संस्थान है। रेलवे में नौकरी करना उनके लिए गौरव की बात है। ट्रेनिंग से पहले भले ही वे लोग सशंकित थीं, लेकिन ट्रेनिंग लेने के दौरान उनका आत्मविश्वास बढ़ा। अब पहले वाली बात नहीं रही। स्टेशनों पर भी सुरक्षा बढ़ी है। रेलवे में काम करने का माहौल दोस्ताना हुआ है।

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