धनबाद जेल में कोरोना फैला रहा पांव, प्रशासन सुस्त
धनबाद जेल में कोरोना विस्फोट होने के बावजूद दूसरे दिन बंदियों की कोरोना जांच नहीं कराई गई। रैपिड एंटीजन टेस्ट अभियान के पहले दिन धनबाद में हुई 76 बंदियों की जांच में 17 बंदी की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई...
धनबाद जेल में कोरोना विस्फोट होने के बावजूद दूसरे दिन बंदियों की कोरोना जांच नहीं कराई गई। रैपिड एंटीजन टेस्ट अभियान के पहले दिन धनबाद में हुई 76 बंदियों की जांच में 17 बंदी की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई थी। रैंडम टेस्ट में 22 प्रतिशत बंदी के संक्रमित होने के बाद भी दूसरे दिन बंदियों की जांच नहीं करने से जेल के अंदर बंदी और बाहर उनके परिजन खौफ में जी रहे हैं।
धनबाद जेल में फिलहाल 920 बंदी अलग-अलग वार्ड और सेल में बंद हैं। वैश्विक महामारी कोरोना के फैलाव के बाद धनबाद जेल की सुरक्षा चाक-चौबंध कर दी गई थी। शुरुआती दौर में बंदियों को किसी तरह कोरोना से बचा कर रखा गया था। लेकिन रैपिट एंटीजन टेस्ट के परिणाम ने जेल प्रशासन की मुश्किलें पूरी तरह से बढ़ा दीं। संक्रमित पाए गए बंदियों को धनबाद जेल अस्पताल में ही आइसोलेट कर उनका इलाज किया जा रहा है। अब उन 17 बंदियों से संपर्क में आए अन्य बंदियों की मुसीबत बढ़ गई है। हालांकि जिस अनुपात में संक्रमण पाया गया है उससे स्पष्ट है कि सभी बंदियों की जांच में और चौंकाने वाले परिणाम आ सकते हैं। जेल के अंदर वार्ड और सेल में दो गज की शारीरिक दूरी संभव नहीं है। ऐसा में जेल प्रशासन को कुछ भी नहीं सूझ रहा है।
बंदियो के लिए चिन्हित नहीं हुआ है कोई अस्पताल
जेल आईजी के आदेश के बावजूद अभी तक बंदियों के लिए धनबाद में किसी कोविड 19 अस्पताल में अलग से बेड का इंतजाम नहीं हो पाया है। जेल आईजी ने राज्य के सभी जेल अधीक्षक को आदेश दिया है कि वे डीसी और सीएस से संपर्क कर संक्रमित कैदियों के लिए जिले के किसी चिन्हित कोविड अस्तपाल में बेड रिजर्व कराएं। ताकि बंदियों के संक्रमण का इलाज कड़ी सुरक्षा में किया जा सके।
आज जेल में फिर से जांच की संभावना
माना जा रहा है कि सोमवार को रैपिड एंटीजन किट की कमी के कारण धनबाद जेल में बंदियों की कोरोना जांच नहीं हो सकी। मंगलवार को किट का इंतजाम कर फिर से बाकी बचे बंदियों की जांच की जाएगी। इधर संक्रमित बंदियों के बेहतर इलाज के लिए अस्पताल चिन्हित करने पर भी गंभीरता से विचार चल रहा है। अब संक्रमितों की वास्तविक संख्या सामने आने के बाद ही प्रशासन की असल चुनौतियां सामने आएंगी। रांची और गोड्डा जेल से सिख नहीं ली तो स्थिति भयावह हो सकती है।