कोयला खदानों के पानी को आजीविका से जोड़ने की होगी पहल
खनन क्षेत्रों में खदान के पानी और जलाशयों को आजीविका और पर्यटन से जोड़ने की पहल होगी। कोयला मंत्री ने जलाशयों के कायाकल्प के लिए गाइडलाइन जारी की। झारखंड को सबसे ज्यादा लाभ होगा। स्वयं सहायता समूहों...
धनबाद, विशेष संवाददाता कोयला खनन क्षेत्रों में खदानों के पानी (पिटवाटर) एवं जलाशयों को आजीविका से जोड़ने की पहल होगी। इसी महीने कोयला मंत्री ने माइनिंग एरिया के जलाशयों के कायाकल्प के लिए व्यापक गाइडलाइन जारी की है। उक्त योजना से सबसे ज्यादा लाभ झारखंड को होने की संभावना है। देश में झारखंड सबसे ज्यादा कोयला खनन वाला राज्य है। खनन क्षेत्र यानी लीज होल्ड एरिया के साथ आसपास स्थित जलाशयों का भी पुनरुद्धार किया जाएगा। इसमें जिला प्रशासन एवं पंचायतों का भी सहयोग लिया जाएगा। खास बात यह है कि स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को पानी से भरे खदान-गड्ढों पर तैरते रेस्तरां संचालित करने के लिए सशक्त बनाया जाएगा। फ्लोटिंग रेस्तरां स्थानीय पर्यटन को बढ़ाते हुए स्थानीय समुदायों के लिए नए आर्थिक अवसर प्रदान करने में सक्षम है। इस तरह की पहल कुछ कंपनियों में पहले हुई है। इसे अब व्यापक स्वरूप दिया जाएगा।
कोयला मंत्रालय के अनुसार खदान के पानी को औद्योगिक उद्देश्यों, भूजल पुनर्भरण, उच्च तकनीक खेती और मछली पालन सहित विभिन्न उपयोगों के लिए किया जाता है। पर्यटन और फ्लोटिंग रेस्तरां जैसी पहल एक मूल्यवान संसाधन के रूप में होगी। रिपोर्ट के अनुसार व्यापक रणनीति के तहत यह काम किया जाएगा। जल निकाय बनाकर पर्यावरणीय प्रभावों को कम करना भी उद्देश्य है। सामुदायिक विकास को ध्यान में रखते हुए खनन क्षेत्र के जल संसाधन को स्थानीय आजीविका में सुधार करना और सतत विकास के लिए होगा। इस संबंध में कोल कंपनियों को गाइडलाइन जारी करते हुए त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।
पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में जल निकायों की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, कोयला मंत्रालय ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसयू), जिला प्रशासन और ग्राम पंचायतों के सहयोग से पारंपरिक जल निकायों का कायाकल्प नामक परियोजना शुरू की है। यह पहल भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के मिशन अमृत सरोवर के दिशा निर्देशों के अनुरूप है और कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) सीएसआर फंड के माध्यम से काम करेगी।
अगले पांच साल का लक्ष्य
- अगले पांच वर्षों (वित्त वर्ष 2024-25 से वित्त वर्ष 2028-29) में खनन क्षेत्रों एवं आसपास के कम से कम 500 जल निकायों का कायाकल्प करना है।
- खनन कंपनियां लीजहोल्ड क्षेत्रों के भीतर जल निकायों का प्रबंधन करेंगी, लीजहोल्ड क्षेत्र के बाहर जल निकायों का प्रबंधन जिला प्रशासन के माध्यम से होगा।
- उक्त योजना के तहत कम से कम 0.4 हेक्टेयर का तालाब क्षेत्र बनेगा और लगभग 10,000 क्यूबिक मीटर की क्षमता होगी।
- जलाशयों के पुनरुद्धार में खदानों के पानी का भी उपयोग किया जाएगा। पिछले पांच वर्ष में 18,513 लाख किलोलीटर खदानों का पानी सिंचाई और पेयजल के लिए उपलब्ध कराया गया
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