ग्लोबल माइनिंग ऑपरेटर के रूप में कोल सेक्टर में होगी निजी कंपनियों की एंट्री
कोयला मंत्रालय ने कोयला उत्पादन लागत कम करने और आयात घटाने के लिए कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों में वैश्विक खनन ऑपरेटरों को आमंत्रित किया है। यह पहल कोयला उत्पादन में वृद्धि और आयातित कोयले पर...
धनबाद, मुकेश सिंह एमडीओ (माइन डेवलपर एवं ऑपरेटर) की तर्ज पर अब ग्लोबल माइनिंग ऑपरेटर के रूप में निजी कंपनियां कोयला खनन में एंट्री करेंगी। कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों में ग्लोबल माइनिंग ऑपरेटर को खनन के लिए आमंत्रित किया जा रहा हैं। कोयला मंत्रालय ने कोयला उत्पादन लागत कम करने एवं आयात घटाने के लिए वैश्विक स्तर पर निजी कंपनियों को कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों में कोयला खनन के लिए आमंत्रित कर रही हैं। इस बाबत कोल इंडिया एवं अनुषंगी कंपनियों को मंत्रालय से कई गाइडलाइन दिए गए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कोयला मंत्रालय ने कोयला उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि करने, आयातित कोयले पर निर्भरता कम करने एवं सबसे महत्वपूर्ण कोयला लागत को घटाने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के तहत प्रमुख कोयला खदान परियोजनाओं के लिए खनन डेवलपर्स सह ऑपरेटरों (एमडीओ) को शामिल करके कोयला खनन में क्रांति लाने के लिए एक परिवर्तनकारी पहल शुरू की है। आधिकारिक सूत्र ने बताया कि माइन डेवलपर्स एवं ऑपरेटर (एमडीओ) का ही विस्तारित रुप ग्लोबल माइनिंग ऑपरेटर है।
शुरुआत में एमडीओ कार्यान्वयन के लिए 168 मिलियन टन की क्षमता वाली 15 कोयला खदान परियोजनाओं की पहचान की गई थी। अब 257 मिलियन टन की कुल क्षमता वाली 28 परियोजनाओं (18 खुली खदान और 10 भूमिगत खदानें) तक विस्तारित हो गई है। आज तक 18 खदानें निजी पार्टियों को आवंटित की गई हैं।
खुली वैश्विक निविदाओं के माध्यम से चुने गए ये प्रतिष्ठित ऑपरेटर, समझौते के अनुरूप, उत्खनन और निष्कर्षण से लेकर कोयले की डिलीवरी तक पूरी खनन प्रक्रिया की देखरेख करेंगे। उनकी भागीदारी से सिस्टम में उन्नत तकनीक और अद्वितीय परिचालन दक्षता आने की उम्मीद है, जिससे उत्पादन क्षमताओं में उल्लेखनीय सुधार होगा। माइन डेवलपर्स एवं ऑपरेटर पुनर्वास (आर एंड आर) मुद्दों, भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण मंजूरी जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का प्रबंधन करेंगे। वे पर्यावरण मानकों की कड़ाई से पालन की गारंटी के लिए राज्य और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ भी समन्वय करेंगे। मालूम हो कि निजी कंपनियों को कम से कम 25 साल के लिए खदानें दी जाएंगी।
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