Hindi Newsझारखंड न्यूज़धनबादChhath Festival 2023 Celebrations Begin with Nahai Khai Ritual in Dhanbad

नहाय खाय के साथ आज से शुरू होगा नेम निष्ठा का महापर्व

धनबाद में छठ महापर्व की शुरुआत मंगलवार से नहाय खाय से हो रही है। व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखेंगी और कद्दू-भात प्रसाद ग्रहण करेंगी। 6 नवंबर को खरना मनाया जाएगा, जबकि 7 और 8 नवंबर को अस्ताचलगामी...

Newswrap हिन्दुस्तान, धनबादTue, 5 Nov 2024 02:28 AM
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धनबाद, वरीय संवाददाता नहाय खाय के साथ मंगलवार से नेम निष्ठा और लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत हो रही है। इस महापर्व के स्वागत के लिए लोग कई दिनों से ही तैयारियों में जुटे हैं। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक मानाए जानेवाले महापर्व पर व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखेंगी। मंगलवार को नहाय खाय पर व्रती स्नान-ध्यान के बाद छठ माता का आवाहन करेंगी। कद्दू-भात प्रसाद के रूप में बनेगा। इसे व्रती भी ग्रहण करेंगी और घर के सदस्य भी कद्द् भात ही खाएंगे।

खरना: नहाय खाय के अगले दिन छह नवंबर को खरना मनाया जाएगा। इसे लोहंडा भी कहते हैं। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। संध्या में नेम-निष्ठा के साथ छठी मईयां की पूजा होती है। प्रसाद में खीर बनता है। यह खीर व्रती ग्रहण करती है और यहीं से व्रत का संकल्प लेती हैं।

अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को व्रतियां अस्त हो रहे सूर्य को अर्घ्य देती हैं। यह तिथि इस वर्ष सात नवंबर गुरुवार को पड़ रही है। फल, फूल, पकवान, नारियल, ईख, गाजर मूली, सुथनी, कच्ची हल्दी, अदरक, बताशा, दीपक सहित अन्य सामग्री से सजे छठ मईयां के दउरा और सूप को माथे पर लेकर छठ घाट तक जाते हैं। इस दौरान छठ की पारंपरिक गीत गाते हुए व्रतियों के साथ लोग घाट पहुंचते हैं। छठ घाट पहुंचने के बाद व्रतियां सरोवर में उतरकर छठी मईयां और भगवान सूर्य की आराधना करतीं हैं। डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य अस्त होने के बाद डाला लेकर व्रती वापस आ जाती है। घर में रात भर छठी मईयां की आराधना में महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं।

उदीयमान सूर्य को अर्घ्य : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। आठ नवंबर शुक्रवार को यह तिथि पड़ रही है। दउरा और सूप को माथे पर लेकर भोर में लोग छठ घट पहुंच जाते हैं। व्रतियों के साथ महिलाएं भी छठी मईयां के महिमा गीत गाती हुई छठ घाट पहुंचती हैं। छठ घाट पर पानी में उतरकर व्रती सूर्य देव की आराधना करती हैं। सूर्योदय के उपरांत भगवान भास्कर को दूध से अर्घ्य देती हैं। इसके बाद घाट पर पहुंचे सभी लोग उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देते हैं।

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