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बाजार समिति की सभी दुकानें बंद, पांच करोड़ का कारोबार प्रभावित

धनबाद। बरवाअड्डा की बाजार समिति के 426 दुकानदारों ने बुधवार को दो प्रतिशत बाजार शुल्क लगाने के विरोध में अपनी-अपनी दुकानें बंद...

बाजार समिति की सभी दुकानें बंद, पांच करोड़ का कारोबार प्रभावित
हिन्दुस्तान टीम,धनबादThu, 09 Feb 2023 12:42 AM
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धनबाद। बरवाअड्डा की बाजार समिति के 426 दुकानदारों ने बुधवार को दो प्रतिशत बाजार शुल्क लगाने के विरोध में अपनी-अपनी दुकानें बंद रखीं। दुकानें बंद होने से पांच करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है। रांची के मोरहाबादी स्थित गार्डन में आयोजित बैठक में जिले से विकास कंधवे, विनोद गुप्ता, अमित गोयल, रिंकू बंसल, गौरव गर्ग, नवीन मंडल सहित 63 लोग शामिल हुए। वहां राज्य भर के व्यवसायियों का जुटान हुआ। व्यवसायियों ने बताया कि बैठक में निर्णय लिया कि 14 फरवरी तक सरकार इस विधेयक को आपस ले, अन्यथा 15 से आटा चक्की, मछली, मुर्गा दुकान, राइस मिल सहित अन्य बड़ी व छोटी दुकानें बंद कर बेमियादी आंदोलन किया जाएगा।

फल मंडी की दुकानें खुली रहीं: बाजार समिति में फल मंडी की दुकानें खुली रहीं। दुकानदारों का कहना है कि कई जगहों से माल आना और भेजना था। कच्चा व्यवसाय है, इसलिए हमलोग अपनी- अपनी दुकानें खोले थे। हालांकि बाजार समिति के दुकानदारों के आंदोलन से अलग नहीं हैं। जरूरत पड़ी तो हमलोग भी आंदोलन में भाग लेंगे।

दुकानदारों में बढ़ता जा रहा आक्रोश: जिला खाद्यान्न व्यवसाय संघ के महासचिव विकास कंधवे व चैंबर के अध्यक्ष विनोद गुप्ता ने बताया कि दो प्रतिशत बाजार शुल्क लगाने से सभी दुकानदारों में आक्रोश बढ़ा हुआ है। एक दिन बाजार समिति के बंद होने से पांच करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ। ऐसे प्रत्येक गुरुवार को दुकानें बंद रहती हैं, जिससे लगातार दो दिन समिति की सभी दुकानें बंद रहेंगी। सरकार इस विधेयक को वापस ले, अन्यथा 15 फरवरी से फ्लोर मिल, विभिन्न बाजार की सभी दुकान, राइस मिल, मीट, मुर्गा, मछली सहित अन्य छोटी व बड़ी दुकानें बंद कर आंदोलन किया जाएगा। सरकार ने कच्ची सामग्री पर एक प्रतिशत और खाद्यान्न पर दो प्रतिशत टैक्स लगाया है। राज्य में जब से झामुमो-कांग्रेस की महागठबंधन सरकार आयी है, इसे लागू किया गया है। सरकार की ओर से कहा गया कि इससे किसान को लाभ होगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। इससे न किसानों को लाभ होगा और न ही आम लोगों को फायदा होगा। रघुवर सरकार के कार्यकाल 2015 में उसे हटा दिया गया था।

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