ठेकेदार-अधिकारियों के गठबंधन से सीएमपीएफ को 48 करोड़ का चूना
अधिकारियों व ठेकेदारों की मिलीभगत से कोयला खान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफओ) को 48 करोड़ के अधिक रुपए का चूना लगा है। मामला कोल इंडिया (सीआईएल) की अनुषंगी इकाई नार्दन कोलफील्ड लिमिटेड (एनसीएल) से...
अधिकारियों व ठेकेदारों की मिलीभगत से कोयला खान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफओ) को 48 करोड़ के अधिक रुपए का चूना लगा है। मामला कोल इंडिया (सीआईएल) की अनुषंगी इकाई नार्दन कोलफील्ड लिमिटेड (एनसीएल) से जुड़ा है। कोयला क्षेत्र में काम करने वाली कांट्रैक्ट लेबर से जुड़े इस मामले में पेंशन तथा पीएफ की राशि में अनियमितता बरती गई है। मजदूरों के वेतन से पीएफ तथा पेंशन की राशि काटने के बाद सीएमपीएफ में जमा नहीं की गई। इतना ही नहीं एनसीएल में काम करने वाली ठेका कंपनियों को कांट्रैक्ट लेबर के पीएफ क्लेम के मद में डेढ़ करोड़ से अधिक का भुगतान कर दिया गया।
गड़बड़ी की पुष्टि सीएमपीएफओ धनबाद स्थित मुख्यालय के ऑडिट में भी हुई है। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि व्यापक जांच हो तो राशि 48 करोड़ से अधिक की भी हो सकती है। अधिकतर मामले सीएमपीएफ के सिंगरौली क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात एक तात्कालिक सहायक आयुक्त के कार्यकाल से जुड़े हैं। ऑडिट में मामले से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी अनुशंसा की गई है।
क्या है मामला
मामला सीआईएल की अनुषंगी इकाई एनसीएल में काम करने वाली आठ ठेका कंपनियों में जुड़ा है। कंपनियों के मातहत कांट्रैक्ट लेबर काम करती हैं। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक कांट्रैक्ट लेबर के पीएफ मद की राशि सीएमपीएफ में जमा नहीं की गई है। यह राशि 24 करोड़ रुपए है। काट्रैक्ट लेबर के पेंशन मद की राशि भी सीएमपीएफ को नहीं मिली है। अगर ठेका कंपनियों ने जमा किया होता तो यह राशि 22 करोड़ के अधिक की होती। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक ठेका कंपनियों में काम करने वाले मजदूरों को पीएफ क्लेम के मद में तय राशि के डेढ़ करोड़ रुपए अधिक का भुगतान कर दिया गया है।
सीबीआई ने भी गड़बड़ी की पुष्टि की : कांट्रैक्ट लेबर के सीएमपीएफ मद की राशि में गड़बड़ी की शिकायत सीबीआई में भी की गई थी। मामले की जांच सीबीआई तथा एसीबी ने भी की थी। सीबीआई ने भी गड़बड़ी की पुष्टि की है। सहायक आयुक्त-एक (आई/ सी) सिंगरौली ने भी मामले को सही बताया है।