'सरकार की पूंजीपति परस्त नीति से आर्थिक बदहाली और सीएए'
ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी) के 21वें राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन पर सीएए, एनआरसी, एनपीआर, देश की आर्थिक बदहाली सहित कई प्रस्ताव पर चर्चा हुई एवं पारित...
ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी) के 21वें राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन पर सीएए, एनआरसी, एनपीआर, देश की आर्थिक बदहाली सहित कई प्रस्ताव पर चर्चा हुई एवं पारित किया। सीएए, एनआरसी एवं एनपीआर को देशहित में नहीं बताया गया। वहीं आर्थिक बदहाली को सरकार की पूंतीपति परस्त नीति का नतीजा बताया गया। महिला उत्पीड़न रोकने के लिए भी प्रस्ताव पारित किया।
समापन समारोह में मुख्य वक्ता एसयूसीआई (कम्यूनिस्ट) पार्टी के महामंत्री प्रभात घोष कोलकाता से पहुंचे थे। उन्होंने समापन सत्र में कहा कि मजदूर आंदोलन के लिए सबसे जरूरी एकता बनाए रखना है। शोषण से मुक्ति मजदूर आंदोलन का ध्येय है। ट्रेड यूनियन आंदोलन को व्यापक व मजबूत बनाएं। आर्थिक तबाही सरकार की पूंजीपरस्त नीति के कारण है। इसलिए आंदोलन की दरकार है। मजदूर स्वयं को बदलें। बंगाली-बिहारी और उड़िया आदि के फेर में न फंसे। मजदूर न बड़ी जाति का होता है न छोटी जाति का। मजदूर मजदूर है।
अधिवेशन में बीस सूत्री चार्टर ऑफ डिमांड (मांग पत्र) पेश किया गया था। उन्हें ही प्रस्ताव के रूप में पारित किया गया। न्यूनतम मजदूरी प्रतिमाह 28 हजार, आउटसोर्सिंग एवं ठेकेदारी प्रथा बंद हो। रेलवे, कोयला, बिजली, रक्षा, बैंक, पोर्ट एवं डॉक, बैंक एवं बीमा का निजीकरण बंद हो। विनिवेश पर तुरंत रोक लगे। छह घंटे काम की अवधि, नई पेंशन नीति को बंद कर पुरानी पेंशन योजना शुरू करना आदि शामिल है।
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नई कमेटी का गठन
अधिवेशन के अंतिम दिन नई कमेटी की घोषणा की गई। शंकर शाहा को अध्यक्ष, शंकरदास गुप्ता महामंत्री एवं पांच उपाध्यक्ष राधाकृष्ण, सत्यवान, अचिंत्य सिन्हा, एएल गुप्ता, शंभूनाथ नायक बनाए गए हैं। इसके अलावा नई कार्यकारिणी समिति का भी गठन किया गया है।