
आवारा कुत्तों के आतंक से खौफ में शहर के लोग
संक्षेप: देवघर, प्रतिनिधि आवारा कुत्तों के आतंक से खौफ में शहर के लोग आवारा कुत्तों के आतंक से खौफ में शहर के लोग आवारा कुत्तों के आतंक से खौफ में शहर के लोग
देवघर, प्रतिनिधि शहर में आवारा कुत्तों का आतंक दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। गलियों से लेकर मुख्य सड़कों तक झुंड बनाकर घूमने वाले कुत्ते अब लोगों के लिए गंभीर परेशानी का कारण बन गए हैं। स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि रात ही नहीं, दिन में भी लोग इनसे खौफजदा रहते हैं। खासकर छोटे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को अकेले बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं रह गया है। हर मोहल्ले में कुत्तों का झुंड, लोगों में दहशत :- देवघर के शांति नगर, बंधा, जागृति नगर, ब्रह्मऋषि कॉलोनी, कुंडा डोमासी गली सहित शहर के अधिकांश मोहल्लों में आवारा कुत्तों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि लोग हर समय सतर्क रहकर चलते हैं।

शाम ढलने के बाद इनकी आक्रामकता और बढ़ जाती है। अंधेरे का फायदा उठाकर यह राह चलते लोगों पर हमला करने से भी पीछे नहीं हटते। अकेले व्यक्ति को देखते ही कुत्ते अचानक भौंकने लगते हैं और कई बार तो दौड़ाकर काट भी लेते हैं। ऐसी घटनाओं के कारण मोहल्लों में दहशत का माहौल है। बाइक सवार सबसे ज्यादा शिकार :- आवारा कुत्तों के आतंक का सबसे ज्यादा सामना बाइक सवारों को करना पड़ता है। अक्सर देखा जाता है कि सड़क पर झुंड बनाकर बैठे कुत्ते अचानक बाइक सवारों के पीछे दौड़ने लगते हैं। कई बार अचानक हुए इस हमले के कारण बाइक सवारों का संतुलन बिगड़ जाता है और दुर्घटनाएं हो जाती हैं। शहर में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं। डॉग बाइट के बढ़ते मामले :- सदर अस्पताल के आंकड़े इस समस्या की गंभीरता को और स्पष्ट करते हैं। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, प्रतिदिन औसतन 30 से 40 मरीज डॉग बाइट की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचते हैं। इनमें बच्चे और महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल होती हैं। लगातार बढ़ते डॉग बाइट के मामलों ने लोगों की चिंता और बढ़ा दी है। सदर अस्पताल की उपाधीक्षक डॉ. सुषमा वर्मा ने जानकारी दी कि फिलहाल अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता है। उन्होंने बताया कि अस्पताल के स्टोर में करीब 3,600 वाइल एंटी रेबीज का टीका मौजूद है, जबकि टीकाकरण केंद्र में 900 वाइल उपलब्ध हैं। एक वाइल से औसतन 4 से 5 मरीजों को टीका दिया जा सकता है। डॉ. सुषमा वर्मा का कहना है कि डॉग बाइट से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल में सभी जरूरी दवाइयां और विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद हैं। डर के साए में जी रहे लोग :- लोग बताते हैं कि मोहल्लों में कुत्तों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि शाम होते ही बच्चों को खेलने के लिए बाहर भेजना मुश्किल हो गया है। महिलाएं बाजार जाने से पहले मोहल्ले में झुंड में घूमते कुत्तों को देखकर घर से निकलने में हिचकिचाती हैं। वहीं, बुजुर्गों के लिए स्थिति और भी चिंताजनक है। अक्सर सुबह-शाम टहलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्रशासन और नगर निगम की चुप्पी :- लोगों का कहना है कि नगर निगम और जिला प्रशासन गंभीर समस्या पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है। नगर निगम द्वारा बीच-बीच में इन आवारा कुत्तों को पकड़कर उसकी नसबंदी कराई जा रही है। लेकिन इसका कोई खास असर दिखाई नहीं दे रहा है। परिणामस्वरूप कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है और यह समस्या दिनोंदिन विकराल रूप लेती जा रही है। लोगों ने मांग की है कि आवारा कुत्तों को पकड़कर नसबंदी कराने की प्रक्रिया में तेजी लाया जाए और एक विशेष योजना बनाकर शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ रही जनसंख्या पर रोक लगाया जाए, ताकि डॉग बाइट के मामलों में कमी आए और लोगों को इन आवारा कुत्तों के आतंक से मुक्ति मिले। क्या कहते हैं स्थानीय लोग :- शांति नगर निवासी उपेंद्र बरनवाल बताते हैं कि रोज शाम को मोहल्ले की गली में कुत्ते झुंड बनाकर खड़े रहते हैं। बच्चों को खेलने तक बाहर नहीं जाने देते। कई बार खुद भी उन कुत्तों से बचने के लिए भागना पड़ा है। वहीं बंधा निवासी शालिग्राम राय का कहना है कि रात में घर से बाहर निकलना अब सुरक्षित नहीं है। महिलाओं और बुजुर्गों को तो सबसे ज्यादा परेशानी होती है। डर है कि कहीं कुत्ते काट न लें। समाधान की जरूरत :- बातचीत के दौरान लोगों ने कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या पर रोकथाम के लिए नगर निगम को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। नियमित नसबंदी अभियान चलाकर इनकी संख्या को नियंत्रित करना होगा। साथ ही, कुत्तों के लिए आश्रय स्थल और भोजन की व्यवस्था भी जरूरी है, ताकि वे सड़कों पर भटककर लोगों के लिए खतरा न बनें। गंभीर समस्या बनती जा रही है आवारा कुत्तों की संख्या :- देवघर जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाले शहर में आवारा कुत्तों की समस्या अब गंभीर चुनौती बन चुकी है। एक ओर जहां लोग इनके आतंक से खौफ में जीने को मजबूर हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन की चुप्पी लोगों के गुस्से को बढ़ा रही है। नगर निगम द्वारा आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी तो कराई जा रही है। बावजूद इसके कुत्तों की जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। ऐसे में लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर नगर निगम द्वारा आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी कराई जा रही है तो फिर कुत्तों की जनसंख्या वृद्धि की दर में कमी क्यों नहीं आ रही है। लोगों के बयान :- 1. शाम होते ही मोहल्ले की गलियों में कुत्ते झुंड बनाकर खड़े रहते हैं। बच्चों को खेलने नहीं जाने देते। कई बार खुद भी बचने के लिए भागना पड़ा है। उपेंद्र बरनवाल 2. रात में घर से बाहर निकलना सुरक्षित नहीं रहा। महिलाओं और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। डर हर समय बना रहता है कि कहीं कुत्ते हमला न कर दें। शालिग्राम राय 3. हमारे इलाके में कुत्तों की संख्या बहुत बढ़ गई है। सुबह-शाम टहलने तक मुश्किल हो गया है। प्रशासन अगर समय रहते कार्रवाई नहीं करेगा तो स्थिति और बिगड़ जाएगी। धनेश्वर मंडल 4. बाइक से गुजरते समय अचानक कुत्ते पीछे दौड़ पड़ते हैं। कई बार संतुलन बिगड़ जाता है और दुर्घटनाएं होते-होते बची हैं। अब तो रास्तों पर निकलना भी डरावना हो गया है। सुमित कुमार 5. बच्चे बाहर खेलने को तरस गए हैं। महिलाएं भी बाजार जाने से पहले दस बार सोचती हैं। कुत्ते इतने आक्रामक हो गए हैं कि अकेले निकलना बहुत मुश्किल हो गया है। विशाल कुमार 6. नगर निगम सिर्फ दिखावे के लिए कुत्तों को पकड़ता है। असल में संख्या लगातार बढ़ रही है। नसबंदी अभियान तेज होना चाहिए और कुत्तों के लिए आश्रय स्थल भी बनाया जाए। चंदन कुमार

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