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पट खुलते ही मां अंबे की भक्ति में डूबे श्रद्धालु

आदिशक्ति देवी दुर्गा पूजा को लेकर शहर भक्ति के सागर में गोते लगा रहा है। शहर के दशों दिशाओं में देवी दुर्गा की अराधना की धूम मची है। पूरब में लालगढ़ दुर्गा मंडप को श्रद्धालुओं के लिए आकर्षक रूप से...

पट खुलते ही मां अंबे की भक्ति में डूबे श्रद्धालु
हिन्दुस्तान टीम,देवघरTue, 16 Oct 2018 10:30 PM
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आदिशक्ति देवी दुर्गा पूजा को लेकर शहर भक्ति के सागर में गोते लगा रहा है। शहर के दशों दिशाओं में देवी दुर्गा की अराधना की धूम मची है। पूरब में लालगढ़ दुर्गा मंडप को श्रद्धालुओं के लिए आकर्षक रूप से सजाया गया है। यहां क विद्युत सज्जा मुख्य आकर्षण है। अग्निकोण स्थित शेखपुरा दुर्गा मंडप रामलीला मैदान में पिछले दस दिनों हो रहे रामलीला से माहौल भक्तिमय हो रहा है। विजया दशमी को इसी मैदान में रावन दहन कार्यक्रम होगा। दक्षिण स्थित कॉलेज रोड नया बाजार, पंचमंदिर दुर्गा मंडप में देवी पूजन चल रहा है। नैऋत्य कोण स्थित श्री श्री सिद्धेश्वरी दुर्गा मंदिर में बंगला विध-विधान से भव्य पंडाल बनाकर ढोल ढाक की आवाज से पूजा की जा रही है। वहीं पश्चिम में डंगालपाड़ा, कालीपुर टाउन रेलवे न्यू कॉलनी में आकर्षक प्रतिमा के साथ पंडाल में भक्त पूजा कर रहे हैं। वायुकोण में गड़िया दुर्गा मंडप में पूजा की जा रही है। खलासी मुहल्ला मिलन संघ में भव्य रूप से प्रतिमा स्थापित कर दुर्गा देवी पूजन किया जा रहा है। उत्तर दिशा में नवाडीह भेड़वा पूजा आकर्षक विद्युत सज्जा के साथ की जा रही है। इशान कोण केशरगढ़ा में दुर्गा पूजा के लिए घोड़वा मेला विख्यात है। शहर के मध्य गांधी चौक पुराना धर्मशाला, दही बाजार हटिया, पुलपार पूजा समिति में देवी दुर्गा की भव्य प्रतिमा के साथ आकर्षक विद्युत सज्जा की गयी है। इस प्रकार शहर में दशों दिशाओं से भक्ति की बयार बह रही है। अहले सुबह से मां दुर्गा के पट खुलते ही भक्त पूजा के लिए उमड़ रहे हैं। इसके साथ ही ग्रामीण अंंचल में भी दुर्गा पूजा की धूम है। कन्या पूजन से पूरी होती है सभी मनोकामनाएं : भारतीय अध्यात्म में शिव को सत्य और पार्वती को शक्ति का रुप माना गया है। एक ओर जहां शिव जीवन और मृत्यु के प्रतीक हैं, वहीं मां आदिशक्ति जीवन और मृत्यु के मध्य होने वाली प्रत्येक घटना जैसे बल, बुद्धि, विकास, रोग मुक्ति, विवाह, संतान, ऐश्वर्य विद्या प्राप्ति आदि की कारक हंै। भारतीय आध्यात्मिक चिंतन में प्रत्येक नारी को उसी मां पार्वती नवरात्र में अष्टमी व नवमी के दिन कन्या भोजन का प्रावधान है। इसके पीछे शास्त्रों में वर्णित तथ्य है कि दो वर्ष से 10 वर्ष की आयु की नौ कन्याओं को पूजन के पश्चात भोजन कराने से समस्त दोषों का नाश होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि कन्या पूजन में कन्या को आमंत्रित कर उनके पैर धोएं, श्रृंगार करें और नौ देवी के पूजन के पश्चात कन्या को भोजन अर्पित करें। नवमी को कन्या पूजन का विशेष महत्व है। लेकिन सिर्फ अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन कर लेने से नहीं होगा। हमें असल जिंदगी में भी कन्याओं को उतना ही सम्मान देना चाहिए। तभी आदिशक्ति की पूजा-अर्चना का फल मिल पायेगा।शक्ति की भक्ति में नतमस्तक है मधुपुर के श्रद्धालु ।रंग-बिरंगे परिधानों में लोग भगवती के दर्शन के लिए आते दिखे। पूजा पंडालों की नयनाभिराम झांकी से श्रद्धालु भावविभोर हैं। श्री सिद्धेश्वरी दुर्गा मंदिर, पंचमंदिर, हटिया, पुलपार, खलासी मोहल्ला, न्यू कॉलोनी, शेखपुरा, भेड़वा, कालीपुरटाउन, पथरौल, लालगढ़, मछुआटांड़, गांधी चौक, पथरचपटी, गायत्री मंदिर, डंगालपाड़ा समेत अन्य स्थानों में मां दुर्गा की पूजा विधि-विधान से हो रही है। पूजा मंडपों और घरों में दुर्गा सप्तशती के सस्वर पाठ, वेद-मंत्रों की ध्वनि, शंख, घड़ीघंट की आवाज से कण-कण में भक्ति की बयार बह रही है। पारंपरिक रीति से होगी भगवती की आराधना। लोक मान्यता के अनुसार भगवती की आराधना में ढोल, ढाकी का महत्व उनकी आस्था और भक्ति से जुड़ी है। मान्यता है कि इन वाद्ययंत्रों की ध्वनी से जन-जन में भक्ति की चेतना का संचार होता है। मां आद्याशक्ति को ्रमंगलवार को इस परंपरागत वाद्ययंत्रों की नाद से आमंत्रित किया गया। शहरी व ग्रामीण अंचल में कई पूजा पंडालों में बंगाल से ढाकिये आए हैं। कई पूजा समितियों द्वारा जागरण, सांस्कृतिक कार्यक्रम केआयोजन किये गये हंै।

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