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जीवन को संयम से सजाने वाला बनता है श्रेष्ठ इंसान : पं. ज्ञानचंद्र

देवघर में जैन समाज द्वारा दशलक्षण महापर्व का आयोजन किया गया। महापर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म का पूजन हुआ, जिसमें सामूहिक आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। पंडित ज्ञानचंद्र जैन ने संयम के...

Newswrap हिन्दुस्तान, देवघरWed, 3 Sep 2025 05:33 AM
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जीवन को संयम से सजाने वाला बनता है श्रेष्ठ इंसान : पं. ज्ञानचंद्र

देवघर। स्थानीय जैन मंदिर प्रांगण में जैन समाज द्वारा दशलक्षण महापर्व मनाया जा रहा है। महापर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म का पूजन किया गया। इस दौरान प्रथम अभिषेक व शांतिधारा सुरेश जैन, सौरभ जैन, गौरव जैन, वैभव जैन ने किया। उसके बाद आरती,सामूहिक पूजन,भगवान शीतलनाथ और पंचबालयति पूजन, स्वयंभू पाठ दशलक्षण पूजन एवं उत्तम संयम धर्म की पूजन हुई। अपराह्न 4 बजे से सुगंध दशमी का धूप खेपायन का कार्यक्रम हुआ। उसके बाद आरती, फैंसी ड्रेस एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ। उसके बाद शास्त्र वाचन किया गया, जिसमें पंडित ज्ञानचंद्र जैन ने उत्तम संयम धर्म के बारे में समाज के लोगों को विस्तार से बताते हुए कहा कि मनुष्य प्राणी के पांच ऑर्गन (इंद्रियां) होती हैं।

जिसमें स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु और कर्ण शामिल है। इन पांचों इन्द्रियों पर नियंत्रण आवश्यक है। क्योंकि मनुष्य के जीवन के दो मार्ग हैं, एक योग का और दूसरा भोग का, एक प्रवत्ति का मार्ग, दूसरा निवृत्ति का मार्ग है। जब मनुष्य त्याग से धर्म से सत्य से संयम से जुड़ जाता है, तब उसकी यात्रा जगदीश्वर की यात्रा हो रही होती है, अन्यथा जीवन जानवर की तरह होता है, संयम रहित जीवन ,मुर्दे के श्रृंगार की भांति अप्रयोजनीय है। यह संयम जीवन का वह संगीत है, वह परम आनंद है,आत्मा का सौंदर्य है कि सदगति प्राप्त करने का सबसे अच्छा प्रमुख साधन है। नियम से जो संयम की ओर होता है या फिर जो निर्विकल्प होकर दशा को प्राप्त करने के इच्छुक हैं, उसे स्वीकार करना परम आवश्यक है। संयम का अर्थ है भोग और त्याग की अति से ऊपर उठ जाना, मध्यम मार्ग को स्वीकार करना,ना अत्यधिक विषयाशक्ति हो, न पूर्ण विरक्ति हो, संतुलन का नाम ही संयम है, अतः हम सभी इंद्रियों (आर्गन) व प्राणी संयम का पालन करें, श्रेष्ठ इंसान वही बन पाता है जो अपने जीवन को संयम से सजा देता है। यही उत्तम संयम धर्म का सार है। इस अवसर पर झारखंड राज्य दिगंबर जैन धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष ताराचंद जैन, जैन मंदिर के अध्यक्ष राजेश जैन, उपाध्यक्ष सुरेश जैन, मंत्री सुरेश पाटनी, कोषाध्यक्ष जुगल जैन, पवन जैन काला, जौली जैन, नरेंद्र जैन, अशोक जैन, डॉ. आनंद जैन, प्रमोद जैन, अजीत जैन, बसंत, मंजू जैन, सीमा जैन, प्रमिला जैन, इंद्रा पाटनी, चित्रा जैन, शशि जैन, मीना पाटनी, मीना छावड़ा, कल्पना जैन, प्रीति जैन, सीमा जैन मेघदूत सहित काफी संख्या में जैन समाज के महिला-पुरुष उपस्थित थे।

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