पूर्व में भी खदान में गयी थी दो बच्चों की जान
चितरा कोलियरी क्षेत्र अंतर्गत ताराबाद गांव अवस्थित बंद कोयला खदान में 10 वर्ष पूर्व भी एक आदिवासी सहित दो बच्चों की जानें जा चुकी हैं, बावजूद...
चितरा । चितरा कोलियरी क्षेत्र अंतर्गत ताराबाद गांव अवस्थित बंद कोयला खदान में 10 वर्ष पूर्व भी एक आदिवासी सहित दो बच्चों की जानें जा चुकी हैं, बावजूद स्थानीय ग्रामीणों व प्रबंधन ने पूर्व की घटना से सबक नहीं लिया। परिणामस्वरूप सोमवार को एक बार फिर भी दो सगी मासूम बहनों की उसमें डूबने से जानें चली गयी। इस घटना से आसपास गांव के ग्रामीण क्षेत्र में शोक की लहर है। बताया जाता है कि बंद कोयला खदान में कोयला उत्खनन का कार्य 80 दशक के पूर्व यानी कोलियरी के राष्ट्रीयकरण से पहले हुआ करता था। राष्ट्रीयकरण के बाद एसपी माईंस प्रबंधन द्वारा आज तक उक्त जगह से कोयला खनन का काम नहीं किया गया और ना ही बंद कोयला खदान की मिट्टी फिलिंग ही करायी गयी। इस कारण 10-12 वर्षों के दौरान यह तीसरी सबसे बड़ी घटना हुई है। बता दें कि बंद कोयला खदान में गर्मी के मौसम में पानी सूख जाने के बाद कोयला माफियाओं द्वारा चोरी-छिपे अवैध रूप से कोयला खनन का काम भी किया जाता है। यह भी एक वजह है जिस कारण आज तक इस खूनी खदान को पूर्ण रूप से बंद नहीं किया गया है।
क्या कहते हैं कोलियरी महाप्रबंधक: इस संबंध में चितरा कोलियरी महाप्रबंधक सलिल कुमार ने कहा कि उक्त कोयला खदान के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है, इससे अधिक कुछ बोलने से भी उन्होंने इंकार किया। इस संबंध में झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने कहा कि दो मासूम बच्चियों की पानी में डूबकर हुई मौत से काफी मर्माहत हूं। इसे शब्दों से बयां नहीं किया जा सकता है। उन्होंने भी कहा कि चितरा कोलियरी प्रबंधन की लापरवाही के कारण इतना बड़ा हादसा आज यहां हुआ है। अगर इस बंद खदान का समतलीकरण करा दिया जाता या घेराबंदी करा दी जाती तो, घटना नहीं होती। पूर्व विस अध्यक्ष ने मांग करते हुए कहा कि कोलियरी प्रबंधन को अविलंब मृत बच्चियों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपया, मुआवजे के तौर पर देना चाहिए।