झारखंड में विधायक और पूर्व MLA के समर्थकों में भिड़ंत, ताबड़तोड़ फायरिंग के बाद इलाके में दहशत
- पुलिस ने यहां से 13 अधिक खोखा बरामद किया है। तनाव बढ़ते देख भारी संख्या में पहुंचे पुलिस और सीआईएसएफ के जवानों ने दोनों गुटों को खदेड़ दिया। पूरा क्षेत्र पुलिस छावनी में तब्दील है। फायरिंग करनेवालों की तलाश में पुलिस जुट गई है।

झारखंड के धनबाद के लोदना क्षेत्र के कुजामा लोडिंग प्वाइंट पर देवप्रभा आउटसोर्सिंग में मैनुअल लोडिंग चालू कराने को लेकर मंगलवार को झरिया विधायक रागिनी सिंह और पूर्व विधायक पूर्णिमा सिंह के समर्थकों में भिड़ंत हो गई। जनता श्रमिक संघ (जश्रसं) रागिनी सिंह व जनता मजदूर संघ (जमसं) बच्चा गुट पूर्णिमा सिंह का संगठन है। तनातनी के बीच परियोजना की दूसरी छोर से ताबड़तोड़ फायरिंग की गई। कुल 23 राउंड फायरिंग से क्षेत्र में दहशत का माहौल है।
इलाका छावनी में तब्दील
पुलिस ने यहां से 13 अधिक खोखा बरामद किया है। तनाव बढ़ते देख भारी संख्या में पहुंचे पुलिस और सीआईएसएफ के जवानों ने दोनों गुटों को खदेड़ दिया। पूरा क्षेत्र पुलिस छावनी में तब्दील है। फायरिंग करनेवालों की तलाश में पुलिस जुट गई है। यहां पर जमसं समर्थकों ने एक सप्ताह से लोडिंग बंद करा रखी थी। वहीं मंगलवार से लोडिंग चालू कराने को लेकर जश्रसं समर्थक पहुंचे थे, जिससे सुबह से ही तनाव था। दोपहर 12.30 बजे के बाद परियोजना से 500 मीटर की दूरी पर फायरिंग की गई।
ट्रक निकलते ही मचा बवाल, चलने लगीं गोलियां
मिली जानकारी के अनुसार जमसं बच्चा गुट पिछले सात दिनों से कुजामा चेकपोस्ट जाम कर आंदोलन कर रहा था। यूनियन के समर्थक लोडिंग प्वाइंट में डीओ के ट्रक को घुसने नहीं दे रहे थे। मंगलवार को ट्रक लोडिंग चालू कराने को लेकर जश्रसं के बैनर तले मजदूर पहुंचे थे और ट्रक लोडिंग चालू करने को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रोड जाम कर दिया था। इसी दौरान दो ट्रक लोडिंग के लिए पहुंचे, जिसे जश्रसं के मजदूरों ने लोड किया। ट्रक कोयला लेकर निकलते ही बवाल मच गया और दोनों तरफ से नारेबाजी होने लगी। इसी दौरान मोहरीबांध के समीप परियोजना की दूसरे छोर से गोलियां चलने लगीं। इससे देखते ही देखते परियोजना में भगदड़ मच गई। पुलिस वहां पहुंची, तब तक फायरिंग करनेवाले भाग खड़े हुए।
पुलिस ने आंदोलनकारियों को खदेड़ा
इसके बाद पुलिस वापस कुजामा चेकपोस्ट लौट आई, लेकिन कुछ देर बाद ही फिर परियोजना की दूसरी छोर से 13 राउंड गोली फायरिंग हुई। इसके बाद पुलिस काफी आक्रामक हो गई और आंदोलनकारियों को परियोजना से खदेड़ दिया। इस दौरान एक भी आंदोलनकारी नजर नहीं आए।
मामले में जश्रसं के संजय यादव ने कहा कि हमलोग अपने मजदूरों के साथ ट्रक लोडिंग कर वापस लौट गए। हमारे आने के बाद क्या हुआ, पता नहीं है। वहीं, जमसं समर्थक प्रीतम रवानी का कहना है कि हम शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे थे। इतने में एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के वीरेंद्र यादव, राकेश दुबे, छोटू सिंह आ गए और हमारे साथ मारपीट करने लगे। महिलाओं के साथ भी मारपीट की। उन लोगों ने ही 20 राउंड गोलियां चलाई हैं। इधर, आरोपियों का कहना था कि ट्रक लोडिंग होने से दूसरे गुट के लोगों ने ही फायरिंग की है। हमारी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई है। आरोप गलत है। उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली बात हो रही है। पुलिस निष्पक्ष जांच करे।