तिलकुट की सोंधी खुशबू से महका इटखोरी, बिहार के कारीगरों द्वारा तैयार किया जा रहा है तिलकुल
तिलकुट की सोंधी खुशबू से महका इटखोरी, बिहार के कारीगरों द्वारा तैयार किया जा रहा है तिलकुल तिलकुट की सोंधी खुशबू से महका इटखोरी, बिहार के कारीगरों द्व

इटखोरी निज प्रतिनिधि मकर संक्रांति नजदीक आते ही ठंड में भी तिलकुट का बाजार गर्म है। बिहार के कारीगरों के द्वारा तिलकुट तैयार किया जा रहा है । इन दिनों यहां के बाजारों में तिलकुट की सोंधी खुशबू से वातावरण महक उठा है । इटखोरी चौक में केसरी तिलकुट भंडार समेत अन्य दुकानों पर दिन भर ग्राहकों से दुकानों की रौनक देखते ही बन रही है। दरअसल मकर सक्रांति पर चूड़ा-दही के साथ तिल खाने की पुरानी परंपरा रही है। ऐसे में लगभग हर हिन्दु परिवार के यहां सक्रांति को ले तिलकुट की खरीदारी निश्चित रूप से की जाती है। केसरी तिलकुट भंडार के मालिक आनंद केसरी बताते हैं की मेरे यहां बिहार के प्रसिद्ध कारीगरों के द्वारा कई वर्षों से तिलकुट बनाया जाता है । उन्होंने बताया कि तिलकुट थोक व खुदरा बिक्री की जाती है ₹175 से लेकर ₹300 तक की तिलकुट का मूल्य तय है। तिलकुट के अलावा तिल का लड्डू बादाम पट्टी समेत तिल के अन्य व्यंजन बनाया जा रहा है । आनन्द अपने दुकान की तिलकूट को बनाने के लिए कारिगरों को गया, रांची, जहानाबाद सहित कई स्थानों से एक महीना पहले ही अपने कारखानों में बुला कर तिलकूट बनाने का शुरू कर देते है। ताकि समय पर तिलकूट तैयार हो सके। कारीगरों का रहने खाने का सारा व्यवस्था दुकान मालिक करते हैं। ताकि कारीगर अधिक से अधिक समय दुकान पर दे सकें। इनके यहां प्रतिनिदिन एक से दो क्ंिवटल तिलकुट कुटा जाता है। इनके यहां का तिलकुट इटखोरी से बाहर भी जाता है। यहां बाहर के व्यापारी आते हैं और थोक भाव में तिलकुट ले जाकर अपने यहां बेचते हैं।
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