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ईदगाह सहित 22 मस्जिदों में पढ़ी गयी बकरीद की नमाज,

मुस्लिम धर्मावलंबियों के त्याग और बलिदान का पर्व इद-उल-जोहा यानि बकरीद पर्व 12 अगस्त को इदगाह में नमाज अदा होने के साथ शुरू हो गया। तीन दिवसीय बकरीद पर्व का मुख्य नमाज ईदगाह में पढ़ी गयी। वैसे नमाज का...

ईदगाह सहित 22 मस्जिदों में पढ़ी गयी बकरीद की नमाज,
हिन्दुस्तान टीम,चतराTue, 13 Aug 2019 02:20 AM
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मुस्लिम धर्मावलंबियों के त्याग और बलिदान का पर्व इद-उल-जोहा यानि बकरीद पर्व 12 अगस्त को इदगाह में नमाज अदा होने के साथ शुरू हो गया। तीन दिवसीय बकरीद पर्व का मुख्य नमाज ईदगाह में पढ़ी गयी। वैसे नमाज का यह सिलसिला विभिन्न मस्जिदों और ईदगाहों में सुबह 6:15 बजे से 8:30 बजे तक चलता रहा। मुफ्ती नजरे तौहिद ने ईदगाह में 8 बजे नमाज पढ़ाई। ईदगाह सहित शहर के विभिन्न 22 मस्जिदों में बकरीद की नमाज लोगों ने अकीदत के साथ अदा की। ईदगाह में नमाज के बाद देश में अमन चैन और शांति की दुआ मांगी गयी। इसके बाद एक दूसरे के गले लगकर बकरीद की बधाई दी और बकरे की कुरबानी दी। ईदगाह में नमाजियों के लिये पेयजल और सुरक्षा का व्यापक प्रबंध था। इस बार जिला और पुलिस प्रशासन ने विभिन्न मस्जिदों और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में सुरक्षा का खास इंतजाम किया था। जगह-जगह पर जवान तैनात थे। पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा गया। ईदगाह में जिला और पुलिस प्रशसन के अलावा विभिन्न राजनीतिक संगठनों के लोग भी उपस्थित थे। ईदगाह में एसडीपीओ वरूण रजक, सदर थाना प्रभारी बीपी मंडल दल बल के साथ तैनात थे। एसडीपीओ ने कहा कि पर्व त्योहार हमारे समाज में सदभाव, भाईचारे और एकजुटता की भावना को आगे बढ़ाता है। मुफ्ती नजरे तौहिद ने बकरीद पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बकरीद पर्व हजरत ईब्राहिम अलैहिस्सलाम की याद में मनाया जाता है। ईद-उल-अजहा आपसी सौहार्द, त्याग और बलिदान का पर्व है। हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को अल्लाह ने स्वप्न दिया था कि तुम अपनी सबसे प्रिय चीज की कुरबानी दो। हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का सबसे प्यारी चीज उसका बेटा हजरत इस्माईल अलै थे। हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे को अल्लाह के फरमान पर कुरबानी के लिये जैसे ही उसकी गर्दन पर छुरी चलाई गैव से खबर आई की तुम्हारी कुरबानी कबुल हो गयी। इसके जगह पर दुम्बा की कुरबानी दो। उसी वक्त से इसे कुरबानी पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।

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