मतदाताओं के खामोशी से सर्द मौसम में भी प्रत्याशी पसीने-पसीने
नामांकन की प्रक्रिया आरंभ होने के साथ चुनावी सियासत गरम होने लगी है। सिमरिया के 419 मतदान केन्द्रों में 3.27 लाख मतदाताओं को पटाने के लिए हर उम्मीदवार उनके जख्मों पर मरहम लगा रहा है। कोई अपने आप को...
नामांकन की प्रक्रिया आरंभ होने के साथ चुनावी सियासत गरम होने लगी है। सिमरिया के 419 मतदान केन्द्रों में 3.27 लाख मतदाताओं को पटाने के लिए हर उम्मीदवार उनके जख्मों पर मरहम लगा रहा है। कोई अपने आप को चौकीदार कह रहा है तो कोई पैर छुकर उसका फोटो सोशल मीडिया में डालकर वाहवाही लूट रहा है। तो कोई खेतो तक पहुंचकर किसानों को भरोसा दे रहा है कि अबकी बार तकदीर और तस्वीर बदल देंगे। पर इनसबो के लूभावन से दूर टंडवा, सिमरिया, इटखोरी, मयूरहंड, लावालौंग, पत्थलगडा और गिद्वौर के मतदाता पूरी तरह खामोश है। मतदाताओं के खामोशी से सर्र्द मौसम में भी प्रत्याशी पसीने-पसीने हो रहे है। छह माह पूर्व लोकसभा चुनाव में वोटिंग करने के बाद विस के लिए वोटिंग का समय आ चुका है लिहाजा एक बार फिर नेता सक्रिय हो गये हैं, पर मतदाता पूरी तरह खामोशी की चादर ओढ अपनी जूबां खोलने से परहेज कर रहे हैं। खधैया गांव के एक मतदाता लालो महतो अपने लहजे में कहते है कि चुनुउवा से पहले सभे बड़का बड़का बात कहत्थु बाबू, पर जितल के बाद भेंटों मुश्किल हव। एक वोट देवेक हो ककरो देदेबो। 2014 के विस चुनाव से इस बार चुनावी मंजर बदला हुआ है। भाजपा ने इस बार एक पुराना कार्यकर्ता किसुन कुमार दास पर भरोसा जताया है। वहीं पिछली बार राजद से चुनाव लड़ने वाले मनोज चंद्रा ने इस बार आजसू से टिकट लेकर भाजपा और झाविमो को निशाना बना रहा हंै। वहीं झाविमो ने रामदेव सिंह भोक्ता पर दांव खेला है। जबकि सीपीआई के बिनोद बिहारी पासवान विरोधियों के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। इसमें अबतक कांग्रेस ने अपना पत्ता नहीं खोला है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो सिमरिया में फिलहाल त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार है। इसमें एनडीए के बिखराव से झाविमो खासे गदगद है। बताया गया कि पिछले लोकसभा चुनाव में सिमरिया विस से भाजपा को 1 लाख 25 हजार वोट मिले थे। बहरहाल सबकी नजरें भाजपा से टिकट न मिलने से नाराज विधायक गणेश गंझू और सिमरिया के पूर्व विधायक योगेंद्र नाथ बैठा पर है कि दोनो क्या करते हैं। क्योंकि कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवार का घोषणा नहीं किया है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस इन्हीं दो में से किसी एक को उम्मीदवार बना सकता है।