चिंता चिता के समान होती है : आचार्य
चक्रधरपुर में मातादीन भगेरिया द्वारा आयोजित श्रीमद्भगवत कथा भक्ति पूर्ण माहौल में संपन्न हुई। कथा व्यास आचार्य श्री विकास जी जोशी ने बताया कि व्यक्ति को अपनी चिंताओं से मुक्त होकर उच्च शक्ति के सामने...

चक्रधरपुर, संवाददाता। चक्रधरपुर थाना रोड में समाजसेवी मातादीन भगेरिया द्वारा आयोजित श्रीमद्भगवत कथा का आयोजन भक्ति पूर्ण माहौल में संपन्न हुआ। कथा व्यास आचार्य श्री विकास जी जोशी एंड टीम द्वारा प्रत्येक दिन श्रीमद्भगवत कथा की प्रस्तुति की गई। भक्तिपूर्ण माहौल में श्रीमद्भगवत कथा का आयोजन होने पर भगेरिया परिवार के मातादीन भगेरिया और रंजन भगेरिया ने सभी श्रद्धालुओं का आभार प्रकट करते हुए कोलकाता से आए कथावाचक पूरी टीम को धन्यवाद दिया है। कथा व्यास आचार्य श्री विकास जी जोशी ने बताया कि सभी नकारात्मक प्रवृत्तियों, अस्वस्थ विचारों, चिंता और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए, व्यक्ति को पूरी तरह से उच्च शक्ति के सामने आत्मसमर्पण कर देना चाहिए, जिसका अर्थ है बिना किसी आरक्षण और संदेह के अपने मन को दिव्य चेतना के प्रवाह के लिए खोलना।उन्होंने कहा चिंता, चिता के समान होती है. जो मनुष्य चिंता करता है वह कभी खुश नहीं रह पाता है. श्रीमद्भगवद्गीता में भी बताया गया है कि व्यक्ति को चिंता करने से बचना चाहिए. व्यक्ति को अपना काम चिंतामुक्त होकर करना चाहिए।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।