
अभ्यारण पर हो रही राजनीति,ग्रामीणों को भ्रमाया जा रहा:- सुशील
संक्षेप: मनोहरपुर में भारत आदिवासी पार्टी के जिलाध्यक्ष सुशील बारला ने आरोप लगाया है कि झारखंड सरकार सारंडा वाइल्डलाइफ अभ्यारण्य को लेकर लोगों को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि खनन कंपनियों को लाभ पहुंचाने...
मनोहरपुर।सारंडा वाइल्डलाइफ अभ्यारण को लेकर सारांडा की जनता को गुमराह किया जा रहा है। इसमें राजनीति कर खनन कंपनियों को सुनियोजित लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। उक्त बातें भारत आदिवासी पार्टी के जिलाध्यक्ष सुशील बारला ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है। उन्होंने कहा की झारखण्ड सरकार सारण्डा वाइल्डलाइफ अभ्यारण को लेकर भ्रम फैलाकर ग्रामीणों को सर्वोच्च न्यायालय के खिलाफ खड़ा कर दिया है। राज्य सरकार अपने दायित्वों का निर्वहन ना कर ग्रामीणों को आगे कर राजनीति कर रही है।सरण्डा वन्यजीव अभयारण्य को लेकर पांच मंत्रियों का समूह सारण्डा के लोगों का समाजिक प्रभाव विश्लेषण को लेकर बैठक कर रहा है लेकिन विडम्बना यह है कि उक्त कमिटी में कोई भी पार्यावरणविद्ध, वनस्पति शास्त्री, भूगर्भ जल शास्त्री, पक्षी विज्ञान और मानव विज्ञान शास्त्री नहीं है।

ऐसे में अभयारण्य से सारण्डा वासियों का लाभ हानि का विश्लेषण कौन करेगा। झारखण्ड सरकार को 8 अक्टूबरके पूर्व अभ्यारण से संबंधित अधिसूचना जारी करने का आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है। राज्य सरकार 29 अप्रैल 2025 को न्यायालय में 575.14 हेक्टेयर वन क्षेत्र वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करने का हलफनामा प्रस्ताव दिया है। ऐसे में सरण्डा क्षेत्र में पांच मंत्रियों का समूह समाजिक प्रभाव विश्लेषण करने का क्या औचित्य है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकार 7अक्टूबर तक आदेश का अनुपालन नहीं करता है तो मुख्य सचिव के उपर करवाई भी हो सकती है। कुछ तथाकथित समूह बैठक को सफल बनाने के लिए सरण्डा वन क्षेत्र में 1980 से वनाधिकार पट्टा के आस में बसे ग्रामीणों को गांव गांव से हजारों की संख्या में लाकर विरोध जैसा स्थिति बनाकर खनन कम्पनियों को लाभ पहुँचाने का सुनियोजित प्रयास है।

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