मलबरी की खेती से किसान होंगे आत्मनिर्भर
चक्रधरपुर प्रखंड के चन्द्री गांव में अग्र परियोजना केंद्र चक्रधरपुर द्वारा पांच एकड़ में की गई मलबरी (शहतूत) की खेती का निरीक्षण मंगलवार को केंद्रीय रेशम बोर्ड के वैज्ञानिक जीपी सिंह, अंतर्राष्ट्रीय...
चक्रधरपुर प्रखंड के चन्द्री गांव में अग्र परियोजना केंद्र चक्रधरपुर द्वारा पांच एकड़ में की गई मलबरी (शहतूत) की खेती का निरीक्षण मंगलवार को केंद्रीय रेशम बोर्ड के वैज्ञानिक जीपी सिंह, वैज्ञानिक डॉ. रामलखन राम व अग्र परियोजना केंद्र पदाधिकारी विनोद कुमार सिन्हा ने किया। इस दौरान वैज्ञानिक जीपी सिंह ने खेती के गुर बताए। उन्होंने कहा कि खेत में गोबर, नीम का खाद और पानी भरपूर मात्रा में दें। क्योंकि गर्मी शुरू होने वाली है। इस कारण खेतों को भरपूर पानी की जरूरत पड़ेगी। इसलिए नियमित सिंचाई के साथ-साथ गोबर खाद भी दें।
मलबरी से किसानों को होगा फायदा:
अग्र परियोजना पदाधिकारी विनोद कुमार सिन्हा ने कहा कि मलबरी की खेती पहली बार कोल्हान क्षेत्र में की जा रही है। इसकी खेती करने से क्षेत्र के रेशम कीट पालक किसानों को काफी फायदा होगा। किसान अपनी आय दोगुनी कर सकेंगे। एक किसान आधा हेक्टेयर खेती कर रेशम कीट से 40 से 50 हजार रुपये आसानी से कमा सकते हैं। पौधे की देखभाल के लिए सरकार द्वारा अनुदान राशि भी दी जा रही है। आने वाले दिनों में क्षेत्र के किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।