महिला कॉलेज में बनाया गया विश्व आदिवासी दिवस
चाईबासा के महिला कॉलेज में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन। यहाँ प्राचार्या ने युवा को स्वदेशी पहचान बनाए रखने की सलाह दी और छात्राएँ ने आदिवासी खेलों के प्रतीक चिन्हों को...
चाईबासा। महिला कॉलेज चाईबासा के बी.एड. विभाग में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य हम अपनी जनजातियों की ओर आकर्षित होते हैं, चुनौती अन्य जनजातियों के लोगों को समझने की है" इस उद्देश्य को लेकर यह कार्यक्रम मनाया गया। कार्यक्रम में प्राचार्या डॉ प्रीतिबाला सिन्हा ने विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर कहा कि युवा वर्ग को स्वदेशी पहचान बनाए रखना चाहिए। गोवरि से कार्यक्रम में की शुरुवात की।
छात्राओं ने शिक्षक- शिक्षिकाओं के समक्ष आदिवासी खेलों के कुछ प्रतीक चिन्हों को रखा, उन्होंने बताया कि जोहार शब्द जनजातियों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस अवसर पर आदिवासी ट्रेडिशनल फूड छात्राओं के द्वारा प्रस्तुत किए गए जिसमें रागी पीठा, कुर्थी दाल, छिलका रोटी, सरसों साग रहे। मंच संचालन प्रेमी अंशु पूर्ति ने किया। इस अवसर पर झारखंड, त्रिपुरा, नागालैंड, असम, केरल, गोवा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और जम्मूकश्मीर के जनजातियों की सांस्कृतिक विशेषताओं को नृत्य और संगीत के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।कार्यक्रम में हो, संथाल, उरांव, मुंडा, गोंड और कुनबी इत्यादि जनजातियों को प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर बी.एड. विभाग अध्यक्ष मोबारक गरीब हाशमी प्रोफेसर डॉ राजीव लोचन नाम था डॉ.ओनिमा मानकी, डॉ अर्पित सुमन टोप्पो, डॉ. पुष्पा कुमारी, प्रोफेसर सुजाता किस्पोट्टा, प्रोफेसर बबीता कुमारी, प्रोफेसर शीला समद, प्रोफेसर प्रीति देवगम, प्रोफेसर मदन मोहन मिश्रा और सेमेस्टर 1 और 3 की छात्राएँ उपस्थित रहीं।
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