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Hindi Newsझारखंड न्यूज़चाईबासाUnemployment crisis in Saranda due to impact of mines

संगठित होकर हक के लिए लडा़ई लड़ने का आह्वान

सारंडा के गांवों में खनिज खदान से हुई प्रभावित बेरोजगारी की समस्या, ग्रामीणों की बैठक में जारी। ग्रामीणों ने मांगा कि नौकरी पाने वाले लोगों को अधिकार मिलना चाहिए।

Newswrap हिन्दुस्तान, चाईबासाWed, 7 Aug 2024 04:48 PM
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गुवा, संवाददाता। सारंडा के बाईहातु गांव मैदान में राजाबेड़ा मुंडा जामदेव चाम्पिया एवं मजदूर नेता रामा पांडेय की मौजूदगी में सेल की गुवा, किरीबुरु, मेघाहातुबुरु एवं टाटा स्टील की विजय-टू लौह अयस्क खदान से प्रभावित सारंडा के विभिन्न गांवों के ग्रामीणों की महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में कहा गया की उक्त चारों खदानों से बहकर आने वाली लाल पानी, मिट्टी, फाइन्स आदि से सारंडा के जोजोगुटु, राजाबेडा़, बाईहातु, बहदा, सोनापी, काशिया-पेचा, जामकुंडिया आदि गांव पूरी तरह से प्रभावित है। इन गांवों के ग्रामीणों का सैकड़ों एकड़ रैयत कृषि भूमि दशकों से बंजर होकर बर्बाद हो चुकी है। यह भूमि हमारे जीने का आधार था लेकिन अब इस पर कुछ भी उपज नहीं होता है। खदान से बहकर आने वाली फाइंस रुपी दलदल में अब तक हमारे दर्जनों पालतू जानवर फंसकर मारे जा चुके हैं। उक्त खदान प्रबंधन हमारे बंजर कृषि भूमि व मारे जा रहे पालतू जानवरों के एवज में कोई मुआवजा नहीं देती है तथा उक्त समस्याओं की वजह से बीमार हो रहे हम ग्रामीणों का बेहतर इलाज के लिए कोई सुविधा प्रदान नहीं कर रही है।  इन सभी समस्याओं से बड़ी समस्या यह है कि हमारे घर अथवा आंगन में धरती के नीचे खनिज व धरती के उपर वन संपदा का भारी भंडार होते हुए भी सारंडा के खदान क्षेत्रों के हम ग्रामीण निरंतर बेरोजगार व भूखमरी के शिकार होते जा रहे हैं। यहां की खनिज संपदा से दूसरे राज्य व शहर न सिर्फ विकसित हो रहा है, बल्कि वहां के लोगों को बेहतर शिक्षा, चिकित्सा, शुद्ध पेयजल, रोजगार, बिजली आदि तमाम बुनियादी सुविधाएं मिल रही है। यहां की खदानों में बाहरी लोगों को लाकर नौकरी दिया जा रहा है, लेकिन हमारे शिक्षित बेरोजगार ग्रामीण युवाओं को नौकरी से पुरी तरह से वंचित कर यहां से दूसरे राज्यों में बड़े पैमाने पर पलायन को मजबूर किया जा रहा है। अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। 

मजदूर नेता रामा पांडेय ने कहा कि हम पिछले दिनों गुवा खदान में बड़ा आंदोलन किये थे जिसमें खदान से प्रभावित सारंडा के 500 ग्रामीण बेरोजगारों को नौकरी देने की मांग की गई थी। निकट भविष्य में सेल में 400 लोगों को नौकरी देने की योजना है। लेकिन हमें ध्यान देना है कि इस नौकरी को पैसे वाले लोग सेल अधिकारियों को घुस देकर आपका नौकरी रुपी हक न छीन ले। सेल भी नौकरी में ऐसा शर्त रख देती है जिस कारण सारंडा के लोग नौकरी पाने से वंचित रह जाते हैं। ऐसे नियमों का विरोध करने की जरुरत है। सारंडा के सभी गांवों के ग्रामीणों को संगठित होकर अब अपने हक व अधिकार के लिये लडा़ई लड़ना होगा। अगली बैठक 11 अगस्त को बाईहातु मैदान में सुबह 10 बजे से रखा गया है, जिसमें सभी गांवों से सैकड़ों लोगों को आने के लिए कहा गया। इस बैठक में मुंडा कानुराम देवगम, मुंडा मनचुडि़या सिधु, मुंडा प्रीति देवगम, सोनाराम माझी, राजेश सांडिल, मंगता सुरीन, साहू सुरीन, पवन चाम्पिया, गंगाराम चाम्पिया, लंकेश चाम्पिया, ठाकुर सोरेन, मुगा चाम्पिया, लेबेया सिधु, विजय सिधु, मंगल हुरद, प्रदीप माझी, बामिया सुरीन, बामिया चाम्पिया, घासीराम देवगम, सुकराम चाम्पिया आदि सैकड़ों मौजूद थे।

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