जिले में होगी लाल केले की खेती
जिले में एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट ऐजेंसी(आत्मा) की ओर से लाल केला उपजाने की पहल की जा रही...
जिले में एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट ऐजेंसी(आत्मा) की ओर से लाल केला उपजाने की पहल की जा रही है। यूं तो केला का ऊपरी भाग हरा होता है और पक जाने के बाद वह पीला हो जाता है पर आत्मा कुछ ऐसे केला के खेती की योजना बना रहा है जो बाहर से तो लाल होगा पर उसका फल समान्य केला की तरह ही होगा और वह लालीपन लिए होगा। अब तक इस लाल केला की खेती तमिलनाडु व केरल में किया जा रहा है पर आत्मा इसकी खेती पश्चिमी सिंहभूम में करने की योजना बना रही है। आत्मा की ओर से केरल से 50 केला के पौधे को मंगा कर उसे 10 कृषकों के माध्यम से इसकी खेती करेगी और एक साल में उसकी सफलता के बाद इसे जिला के सभी प्रखंडों में 1-1 एकड़ में प्रायोगिक तौर पर शुरू किया जाएगा।
व्यवसायिक दृष्टिकोड़ से काफी बेहतर : आत्मा के निदेशक पंकज कुमार सिंह ने बताया कि इससे कृषकों के आय वृद्धि की योजना से जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि इस केला की खाशियत यह एक माह तक तक खराब नहीं होता और इससे कृषक इससे अच्छा आय प्राप्त कर सकते है। शुरुवाती तौर पर इसके 50 पौधे को मंगा कर 10 चयनित कृषकों के माध्यम से इसकी खेती करवाया जाएगा। इसके बेहतर परिणाम के बाद जिला के सभी 18 प्रखंडों में 1-1 एकड़ पर इसकी खेती शुरू कराई जाएगी। लाल केला की खाशियत : कैंसर और दिल की बीमारियों के लिए लाल रंग का केला वरदान है। जानकारी के अनुसार लाल केले में पोटेशियम, आयरन और विटामिन ज्यादा पाई जाती है। इसका छिलका लाल और फल हल्का पीला होता है। इस केले में जहां शुगर की मात्रा कम पाई जाती है, वहीं हरे और पीले केले के मुकाबले इसमें बीटा कैरोटीन अधिक पाया जाता है। बीटा-कैरोटीन धमनियों में खून का थक्का जमने नहीं देता है जिसके कारण लाल केला कैंसर और दिल से जुड़ी बीमारियों को दूर रखने में मददगार होता है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। रोजाना एक लाल केला खाने से शरीर के लिए आवश्यक फाइबर की आपूर्ति हो जाती है। साथ ही इसके खाने से डायबिटीज होने का खतरा भी कम हो जाता है। जानकारी के अनुसार लाल रंग का केला ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, वेस्टइंडीज, मेक्सिको जैसे देश के साथ ही भारत में तमिलनाडु व केरल के कुछ हिस्सों में पैदा किया जाता है।
