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सारंडा में संदीप और उसके साथियों की तलाश जारी

सारंडा के बुरूराईका में मंगलवार को पुलिस के साथ मुठभेड़ के बाद इनामी मोस्टवांटेड नक्सली संदीप उर्फ मोती लाल सोरेन और उसके साथियों की तलाश में पुलिस इलाके में सर्च अभियान चला रही है। इस मुठभेड़ में...

सारंडा में संदीप और उसके साथियों की तलाश जारी
हिन्दुस्तान टीम,चाईबासाThu, 07 Sep 2017 12:30 AM
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सारंडा के बुरूराईका में मंगलवार को पुलिस के साथ मुठभेड़ के बाद इनामी मोस्टवांटेड नक्सली संदीप उर्फ मोती लाल सोरेन और उसके साथियों की तलाश में पुलिस इलाके में सर्च अभियान चला रही है। इस मुठभेड़ में संदीप समेत दो नक्सलियों के घायल होने की खबर है। पुलिस इन घायल नक्सलियों की तलाश कर रही है। पश्चिमी सिंहभूम के पुलिस अधीक्षक अनीश गुप्ता ने बताया कि संदीप और दो नक्सलियों को गोली लगी है। पुलिस इनकी तलाश कर रही है। संदीप वर्ष 2011 में अपने हार्डकोर नक्सली साथी निर्भय उर्फ रघुनाथ हेम्ब्रम और धीरेन्द्र महतो उर्फ गिरीश के साथ चाईबासा जेल के गोदाम का ताला तोड़ कर खिड़की से कुद कर फरार हुआ था। उसके बाद वह और उसके साथी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े। कौन है संदीप : चाईबासा जेल से 17 जनवरी 2011 को अपने दो हार्डकोर नक्सलियों के साथ फरार संदीप फरारी के बाद से ही लगातार कोल्हान पोडाहाट के क्षेत्र में अपनी गतिविधि बढ़ाए हुए हैं। लगातार पुलिस उसका पीछा कर रही है। लेकिन मंगलवार को पुलिस के साथ हुई मुठभेड उसके लिए भारी पड़ा है। संदीप सारंडा में नक्सलवाद के संस्थापक सदस्यों में एक रहा है। वह चाईबासा जेल से फरार हार्डकोर नक्सली धीरेन्द्र महतो उर्फ गिरीश का ही शिष्य था। गिरीश ने ही उसे संगठन में वर्ष 2000 में संगठन में शामिल कराया था। संदीप सारंडा में नक्सलवाद का संस्थापक बताया जाता है। वर्ष 2009 के 28 फरवरी को पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद संदीप ने पुलिस को इस बात की जानकारी दी थी। संदीप और गिरीश वर्ष 2002 में बिटकिलसोय के मुंडा जीवन मसीह भुईयां और तिरिलपोसी के फारेस्टर लूथर तिर्की की हत्या में शामिल थे। इस घटना में इनके साथ कुंदन पाहन भी शामिल था। यह सारंडा में नक्सलियों द्वारा हिंसा की पहली घटना थी। संदीप 19 दिसंबर 2002 को बिटकिलसोय और 7 अप्रैल 2004 में बालिबा में पुलिस संहार की घटनाओं का नेतृत्वकर्ता रहा है, जिसमें क्रमश: 17 और 29 पुलिस के जवानों को शहीद होना पड़ा था। बालिबा की घटना में तत्कालीन एसपी प्रवीण कुमार सिंह को भी गोली लगी थी। पादरी और धर्मप्रचारक बनकर आये थे सारंडा में : 28 फरवरी 2009 को पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद संदीप दा ने पुलिस को बताया था कि वह सबसे पहले 1990 के आसपास गिरीश महतो के संपर्क में आकर एमसीसी में शामिल हुआ था। गिरिश दा ने ही राज्य में उग्रवादियों का सबसे पहला सेक्शन बनाया। ये लोग सारंडा क्षेत्र का मुआयना करने के लिए पादरी और धर्म प्रचारक बनकर आए और लोगों के मन को टटोला। कलांतर में लोगों के मनोभाव को समझने के बाद उन्हें यहां पांव पसारने में सफलता मिली थी।

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