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आदिवासियों व मूलवासियों को विकास के नाम पर विस्थापित करना बंद करे सरकार

वनाधिकार कानून के तहत आदिवासियों को पट्टा देने, ग्राम सभा को अविलंब पट्टा जारी करने सहित अन्य मांगों को लेकर बोकारो जिला ग्राम सभा मंच और झारखंड...

आदिवासियों व मूलवासियों को विकास के नाम पर विस्थापित करना बंद करे सरकार
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,बोकारोFri, 11 Nov 2022 10:33 PM
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वनाधिकार कानून के तहत आदिवासियों को पट्टा देने, ग्राम सभा को अविलंब पट्टा जारी करने सहित अन्य मांगों को लेकर बोकारो जिला ग्राम सभा मंच और झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन ने संयुक्त रूप से शुक्रवार को जिला मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया।

इस प्रदर्शन में आदिवासीय समुदाय के लोग पारंपरिक हरवे हथियार से लैस होकर प्रदर्शन में भाग लिया। इस अवसर पर भारी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई। धरना-प्रदर्शन के माध्यम से लोगों ने अपनी मांगों की आवाज बुलंद की। सरकार व जिला प्रशासन को चुनौती देते हुए कहा मांगों पर अविलंब पहल नहीं किया गया तो संगठन उग्र आंदोलन के बाध्य होगा। इससे पूर्व करीब दो हजार से अधिक संख्या में आदिवासी अपने अधिकार के लिए उकरीद मोड़ से पैदल मार्च करते, नाचते गाते और पारंपरिक हथियार के साथ जिला मुख्यालय के समीप पहुंचे। यहां इक्ठ्ठा होने के बाद लोगों ने उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की तादाद इतनी थी कि कुछ देर के लिए आवागमन प्रभावित रहा। झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन के सेंट्रल प्रभारी राजेश कुमार महतो ने कहा कि आदिवासियों व मूलवासियों को विकास के नाम पर बेवजह विस्थापित किया जा रहा है। आदिवासियों को वनाधिकार कानून के तहत पट्टा देने में आनाकानी किया जा रहा है। प्रदर्शन में बोकारो जिले के नौ प्रखंड के 130 गांवों के आदिवासियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में भारी संख्या में महिलाएं शामिल हुई। संगठन के नेताओं ने अपर समाहर्ता को मांग पत्र सौंपा। प्रदर्शन में संयोजक जेवियर कुजूर, बिरसा हांसदा, ओम प्रकाश मांझी, हीरा लाल मुर्मू, वंशी मांझी, तुलेश्वरी मुर्मू, बाबूलाल मरांडी, हीरा लाल मुर्मू, आशा हंसदा, रतीराम किस्कू, मोती लाल बेसरा सहित काफी संख्या में लोग शामिल हुए।

पैदल करना पड़ा सफर : धरना प्रदर्शन के कारण जिला समाहरणालय के समीप चास बोकारो मुख्य पथ पर करीब एक घंटा तक जाम रहा। बस और ऑटो से स्कूल से लौटने वाले विद्यार्थियों को पैदल सफर करना पड़ा। छात्र-छात्राओं सहित आमजनों को परेशानी का सामना करना पड़ा। रूट बदल कर लोगों का सफर करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों की तादाद इतनी थी कि पुलिस पदाधिकारियों और जवानों को मशक्कत करना पड़ा।

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