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पाइपलाइन बिछाने को नहीं देंगे अपनी एक इंच भी रैयती जमीन

गेल इंडिया लिमिटेड को रैयती जमीन पर सीएनजी पाइप लाइन बिछाने का अधिकार नहीं है। रापचा एवं बुरुडीह पंचायत क्षेत्र में करीब तीन किमी पाइप लाइन बिछाने के लिए हमारी रैयती जमीन का जबरन इस्तेमाल किया जा रहा...

पाइपलाइन बिछाने को नहीं देंगे अपनी एक इंच भी रैयती जमीन
हिन्दुस्तान टीम,आदित्यपुरSun, 16 Feb 2020 06:32 PM
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गेल इंडिया लिमिटेड को रैयती जमीन पर सीएनजी पाइप लाइन बिछाने का अधिकार नहीं है। रापचा एवं बुरुडीह पंचायत क्षेत्र में करीब तीन किमी पाइप लाइन बिछाने के लिए हमारी रैयती जमीन का जबरन इस्तेमाल किया जा रहा है। हम अपनी जान दे सकते हैं, पर अपनी जमीन पर पाइप बिछाने नहीं देंगे। यह आक्रोश रविवार को मुर्गाघुटु मैदान में बैठक कर ग्रामीणों ने व्यक्त किया है। ग्राम प्रधान कोंदा बेसरा की अध्यक्षता में हुई बैठक में सभी ने विरोध का निर्णय लिया। रैयतदारों से नहीं ली गयी सहमति : इस दौरान रापचा की मुखिया सुकूमती मार्डी ने कहा कि गेल इंडिया कंपनी की ओर से रैयती जमीन पर पाइपलाइन बिछाने का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है। लेकिन, क्षेत्र के लोगों की मुख्य आजीविका कृषि है। परिवार में जनसंख्या बढ़ने से ऐसे ही लोगों की जमीन कम होती जा रही है। वहीं, कंपनी बगैर ग्रामसभा, रैयातदारों से सहमति अथवा ग्राम पंचायत से अधिकृत आदेश के अपनी धौंस दिखाते हुए काम कर रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। मुखिया ने कहा कि अब इस क्षेत्र में एक इंच भी रैयती जमीन पर पाइप लाइन का काम होने नहीं दिया जायेगा।पुरुलिया-जमशेदपुर पाइप लाइन का हो रहा काम :गेल इंडिया कंपनी ने पुरुलिया से चांडिल तक भारी विरोध के बाद पाइप लाइन का कार्य पूरा कर लिया है। इधर बुरुडीह एवं रापचा पंचायत के राघाडीह, मुर्गाघुटु, शिवपुर समेत कई गांवों से होकर जा रही पाइप लाइन का विरोध किया जा रहा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि साइट पर काम कराने वाले लोगों की ओर से रैयातदारों को डरा धमका कर कुछ दूर तक पाइप लाइन का काम करा लिया गया है। इसमें मातो बेसरा, बिनोद बास्के, रामजीत बास्के, भुन्दू बास्के, लखन टुडू, धनीराम बेसरा, भकतो हांसदा समेत करीब पचास से अधिक रैयातदारों की जमीन पाइप लाइन में पड़ती है। ग्रामीणों ने उक्त पाइप को भी जमीन से हटाने अन्यथा उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। एयरपोर्ट प्रस्ताव को लेना पड़ा था वापस :इससे पूर्व इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण के लिए इसी क्षेत्र को चुना गया था। टाटा स्टील की ओर से कराये जा रहे सर्वे का भारी विरोध हुआ था। ग्रामीणों की एकजुटता एवं विरोध को देखते हुए एयरपोर्ट निर्माण के प्रस्ताव को वापस लेना पड़ा था।मंत्री से करेंगे फरियाद : ग्रामीणों ने कहा कि बार-बार इस आदिवासी बहुल क्षेत्र की जमीन को ही निशाना बनाया जा रहा है। पहले एयरपोर्ट और अब पाइप लाइन के लिए रैयातदारों को परेशान किया जा रहा है। इस मामले की जानकारी स्थानीय विधायक सह आदिवासी कल्याण मंत्री चंपई सोरेन को देकर कार्रवाई की मांग करेंगे।

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