जीव का कल्याण और मानव के दुखों में कमी का करें चिंतन : आचार्य वेदानन्द शास्त्री
जगन्नाथपुर में श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य वेदानन्द शास्त्री ने जीव के कल्याण का मार्ग बताया। उन्होंने कहा कि जीवन में दुखों की कमी के लिए सदैव सात्विक भोजन और सत्य वचन का पालन करना चाहिए।...

जगन्नाथपुर के मार्ग संख्या-13 में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य वेदानन्द शास्त्री ने कहा कि जीव के कल्याण का मार्ग क्या है तथा किस प्रयत्न से मानव के दुखों में कमी आ सकती है, इसपर चिंतन की जरूरत है। कहा कि पृथ्वी पर प्रत्येक जीव की यही इच्छा होती है कि उनके जीवन में किसी प्रकार के दुख और समस्या न आये। किंतु यह जीव के पूर्व अर्जित धर्म और प्रारब्ध पर ही निर्भर है। उन्होंने कहा कि इमे सदैव सात्विक भोजन और सत्य वचन का पालन करना चाहिए। क्योंकि जैसा हमारा चित्र रहेगा वैसी हमारी चित्तवृति होगी। भगवत प्राप्ति का लक्ष्य क्या है? इसका सीधा सा मतलब हमारे हृदय की शुद्धता है। जिसने भी आर्तभाव से प्रभु को पुकारा उनको प्रभुकी कृपा प्राप्त हुई है। भगवान श्रीकृष्ण ने दुर्योधन द्वारा अर्पित छप्पन भोग का त्यागकर विदुसी के घर विदुरानी द्वारा समर्पित भोग केले के छिलके और सूखे साग को स्वीकार किया। दुर्योधन अपने अहंकार में उन्हें भोजन करवाना चाहते थे, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। किन्तु विदुरजी के निर्मल प्रेम ही प्रभुको विवश किया। आचार्य वेदानन्द शास्त्री ने कहा कि आप हमेशा प्रभु को अपना तन, मन और धन समर्पित करें। क्योंकि हमें एक दिन इस संसार में जुटाये गए सभी वस्तुएँ यहीं छोड़कर जाना पड़ेगा। इस अवसर पर संजय सिंह, रूपा प्रियदर्शिनी, पंडित बद्री नारायण झा, संजय कुमार, आदित्य कुमार सिंह, लालटून मिश्र, अशोक सिंह, आशा देवी, किरण देवी, मनीष कुमार सिंह, प्रणव हरि आदि उपस्थित थे।
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