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ओड़िया भाषा की सुरक्षा में ओडिशा के मुख्य सचिव आ रहे झारखंड

ओड़िशा के मुख्य सचिव ने झारखंड के महाविद्यालयों में ओड़िया भाषा की पढ़ाई को जारी रखने का आदेश दिया है। ओडिशा के साहित्य संस्थान के अध्यक्ष की तरफ से दिये गये आवेदन पर निर्देश आया है। इसके साथ ही ओडिया...

ओड़िया भाषा की सुरक्षा में ओडिशा के मुख्य सचिव आ रहे झारखंड
Newswrap हिन्दुस्तान, आदित्यपुरFri, 9 Aug 2024 07:47 AM
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सरायकेला। एकीकृत सिंहभूम के महाविद्यालयों में बंद हो रहे ओड़िया भाषा की पढ़ाई पर ओडिशा के मुख्य सचिव को राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित कर पढ़ाई यथावत रखने का आदेश दिया गयाहै। ओडिशा के मेघाच्छन्न साहित्य संस्थान के अध्यक्ष विकास नायक की तरफ से दिये गये आवेदन पर महामहिम राष्ट्रप द्रोपदी मुर्मू द्वारा उठाये गये कदम को झारखंड के ओड़िया भाषा, संस्कृति संरक्षक कार्तिक कुमार परिच्छा ने तहे दिल से उनका आभार व्यक्त किया है। उन्होंने ओडिशा के दो पूर्व ओडिय़ा प्रीन्सली स्टेटस् सह ओडिशा एक पूर्व राजस्व जिला सरायकेला से अब षड्यंत्र पूर्वक ओड़िया लोगों के रोजी-रोजगार समाप्त करने की चाल पर अविलम्ब उच्चस्तरीय जांच व कार्रवाई की मांग की गयी है। केन्द्र व ओड़िशा सरकार द्वारा झारखंड सरकार में एक ओ एस डी फोर ओडियास् शीघ्र नियुक्त करने की मांग भी राष्ट्रपति से की है।झारखंड सरकार द्वारा ओड़िया भाषा की अवहेलना पर मेघाच्छन्न साहित्य पत्रका के पदाधिकारियों विकास नायक एवं अन्य द्वारा पत्र लिखकर महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को विगत जून महिने में दी गयी थीं। उसमें सिंहभूम के दोनों जिले का जिक्र करते हुए विद्यालयों में ओडिय़ा भाषा की दयनीय स्थिति का हवाला के साथ ओड़िया भाषा की पढ़ाई को जारी रखवाने एवं ओड़िया पढ़ाई पर अधिक आर्थिक अनुदान देने की मांग इस संस्थान के अध्यक्ष व सचिव द्वारा की गई । जिस पर महामहिम राष्ट्रपति के सचिव द्वारा ओडिशा सरकार के मुख्य सचिव को देखरेख हेतु निर्देशित की गयी है।

सरायकेला के ओड़िया भाषा संस्कृति संरक्षक कार्तिक कुमार परिच्छा ने महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के निर्देश पर जहां आभार प्रकट किया है वहीं झारखंड के सर्वाधिक उद्योग बहुल ओड़िया जिला सरायकेला खरसावां के ओड़िया लोगों को इन उद्योग से कोई रोजी रोजगार नहीं मिलना चिंताजनक स्थिति बताया ह। सिंहभूम में खनिज संपदा इलाके में ओड़िया तंगहाली जीवन जीने की बात कहा है। परीक्षा ने कहा है की इतिहास गवाह है सुरेंद्र महंती जैसे पत्रकार, सांसद भी कभी सरायकेला राजा की एकचिट्ठी पर यहां के ओड़िया भाषियों को रोजगार उपलब्ध हो जाता था अपनी आत्मकथा मे दर्शाए हुए है पर राजपाट जाने के बाद राजनेता राजनीति को सीधा कमाई का जरिया बनाए हुए हैं । स्थिति इतनी बदतर है कि आज सरायकेला खरसावां के ओड़िया दो जून की रोटी के लिए तरसते हैं जिसका मुख्य कारण हर राजनीतिक पार्टी की इच्छाशक्ति घोर ओड़िया विरोधी है। परिच्छा ने कहा है कि महामहिम राष्ट्रपति द्वारा उड़ीसा सरकार के तरफ से ओडिय़ा लोगों की भाषा,संस्कृति,आर्थिक,सामाजिक,शैक्षणिक राजनैतिक उत्थान हेतु आगे संज्ञान में लाया जाएगा

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