दलमा देव स्थल में समाधि या शव दफनाने की इजाजत नहीं
दलमा हमारा प्राचीन देवस्थल है, पूर्वज सदियों से पूजा करते आये हैं। यह हमारी खतियानी जमीन है। इस देव स्थल पर किसी की भी समाधि बनाने या पार्थिव शरीर को दफनाने नहीं दिया जायेगा। ऐसी घटना की पुनरावृति न...
दलमा हमारा प्राचीन देवस्थल है, पूर्वज सदियों से पूजा करते आये हैं। यह हमारी खतियानी जमीन है। इस देव स्थल पर किसी की भी समाधि बनाने या पार्थिव शरीर को दफनाने नहीं दिया जायेगा। ऐसी घटना की पुनरावृति न हो इसका प्रशासन ध्यान रखे। हम अपनी प्रतिष्ठा एवं देव स्थल के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे।
दलमा के महंत श्री भीमानंद सरस्वती उर्फ दलमा बाबा की समाधि बनाने पर उत्पन्न विवाद पर आदिवासी भूमिज-मुंडा समाज ने यह दो टूक फैसला सुनाया है। दलमा के माकुलाकोचा में मंगलवार को माणिक सिंह सरदार की अध्यक्षता में हुई बैठक में तीन राज्यों झारखंड, बंगाल एवं ओडिशा के कई गांवों से सैकड़ों की संख्या में लोग पारंपरिक हथियारों के साथ शामिल हुए।
30 को दलमा हिलटॉप में होगी बैठक : इस दौरान आगे की रणनीति बनाने के लिए 30 सितंबर को दलमा हिल टॉप में समाज के लोगों की पुन: बैठक का निर्णय लिया गया। बैठक में बनु सिंह सरदार, जय सिंह भूमिज, कांचन सिंह, अजय सिंह, कुसुम कमल सिंह, श्यामल सरदार, युधिष्ठिर सिंह, आनंद सिंह, सुचांद सिंह समेत काफी संख्या में तीनों राज्यों से समाज के लोग मौजूद थे।
सम्मानपूर्व दूसरी जगह पर दफनाया गया : जय सिंह भूमिज ने कहा कि भीमानंद सरस्वती के पार्थिव शरीर को हमारे दलमा के देवस्थल पर दफनाया गया था, जिससे उनकी धार्मिक आस्था को ठेस पहुंच रही थी। इसलिए पारंपरिक विधि-विधान के साथ पार्थिव शरीर को दूसरी जगह दफना दिया गया। कहा, देव स्थल पर समाज के लोग भी अपनों के शव को नहीं दफनाते हैं। भीमानंद सरस्वती के प्रति समाज के लोगों में सम्मान है।
देवस्थल को दखल करने की साजिश : जय सिंह ने कहा कि एक साजिश के तहत दलमा के देवस्थल को बाहरी द्वारा दखल करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे समाज के लोग हरगिज बर्दाश्त नहीं करेंगे। दलमा देव स्थल उनके समाज की खतियानी जमीन है। वे लोग प्रशासन को जांच में हर संभव मदद करने को तैयार हैं।
उपायुक्त से मिलेंगे समाज के लोग : बैठक में निर्णय लिया गया कि बाहरी तत्वों द्वारा देव स्थल को कब्जा करने की साजिश रची जा रही है। इसके खिलाफ समाज के लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त से मिलेगा तथा देव स्थल की सुरक्षा की मांग करेगा।
इसके पहले भी हो चुकी है घटना : शुक्रवार की घटना के पहले भी एक जुलाई 2005 को भीमानंद सरस्वती द्वारा समाज के लोगों पर मारपीट करने एवं गाय लूटकर ले जाने का पटमदा थाना में मामला दर्ज किया गया था। वर्ष 2009 में चाईबासा से चार वाहनों में आये लोगों के द्वारा उनके शिवलिंग को ले जाने का प्रयास किया गया था।
इन जगहों से आये थे समाज के लोग : बैठक में कोयरा, दाहुबेड़ा, बांधडीह, गुमानडीह, कुयानी, कदमझोर, आमझोर, लावजोड़ा, चामटा, माकुलाकोचा, गुमानडीह, चेलियामा समेत प. बंगाल व ओडिशा से काफी संख्या में लोग पारंपरिक हथियारों से लैस होकर माकुलाकोचा पहुंचे थे।