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स्वास्थ्य विभाग ने थमाया सर्टिफिकेट, नहीं मिली पेंशन

नीमडीह प्रखंड के नक्सल प्रभावित चेलियामा का 17 वर्षीय रितिक दास आज भी विकलांग पेंशन के इंतजार में है। पेंशन की आस में उसने छह वर्ष गुजार दिये। वर्ष 2013 में स्वास्थ्य विभाग ने रितिक दास को नि:शक्त...

स्वास्थ्य विभाग ने थमाया सर्टिफिकेट, नहीं मिली पेंशन
हिन्दुस्तान टीम,आदित्यपुरWed, 09 Jan 2019 08:09 PM
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नीमडीह प्रखंड के नक्सल प्रभावित चेलियामा का 17 वर्षीय रितिक दास आज भी विकलांग पेंशन के इंतजार में है। पेंशन की आस में उसने छह वर्ष गुजार दिये। वर्ष 2013 में स्वास्थ्य विभाग ने रितिक दास को नि:शक्त होने का प्रमाण पत्र तो दे दिया, परंतु प्रशासनिक लापरवाही के कारण रितिक को अब तक पेंशन नसीब नहीं हुई।

बचपन में ही रितिक की मां गुजर गई तो नि:शक्त बेटा का बोझ ढोने के डर से पिता छोड़कर चला गया। आखिरकार दूर के एक रिश्तेदार ने उसे सहारा दिया।

लेकिन, सरकार की कुव्यवस्था उसे पेंशन का सहारा नहीं दे पाई। समाजसेवी वासुदेव सिंह एवं मनोज सिंह ने कहा कि रितिक दास न बोल सकता है, न सुन सकता है और न ही ठीक से चल सकता है। स्वास्थ्य विभाग ने उसे मात्र 50 प्रतिशत विकलांगता का प्रमाण पत्र दिया है, जबकि स्वास्थ्य विभाग उसे शत प्रति विकलांगता का सर्टिफिकेट देकर रितिक को नियमित पेंशन दे।पेंशन स्वीकृत नहीं है तो ऑन स्पाट पेंशन स्वीकृत किया जायेगा : एसडीओएसडीओ डा. विनय कुमार मिश्र ने बताया कि अगर पेंशन स्वीकृत नहीं हुआ है तो प्रशासन उसके घर जाकर ऑन स्पॉट पेंशन स्वीकृत करेगा।

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