
झारखंड के लिए बड़ा ऐलान, 2100 बेड का किडनी अस्पताल और 6 मेडिकल कॉलेज बनेंगे
संक्षेप: झारखंड में स्वास्थ्य संरचना को लेकर कई बड़ी घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि राज्य में 2100 बेड वाला सुपर स्पेशियलिटी किडनी अस्पताल बनने जा रहा है। साथ ही मेडिको सिटी और छह नए मेडिकल कॉलेजों को बनाने का तेजी से किया जाएगा।
नामकुम स्थित लोक स्वास्थ्य संस्थान (आईपीएच) सभागार में मंगलवार को संविदा आधारित सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों (सीएचओ) के लिए नियुक्ति पत्र वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इसमें स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने 91 सीएचओ को नियुक्ति पत्र सौंपा। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने झारखंड में स्वास्थ्य संरचना को लेकर कई बड़ी घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि राज्य में 2100 बेड वाला सुपर स्पेशियलिटी किडनी अस्पताल बनने जा रहा है। साथ ही मेडिको सिटी और छह नए मेडिकल कॉलेजों के निर्माण को भी प्राथमिकता से पूरा किया जाएगा।

मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि आने वाले 1-2 सालों में उनके संकल्प नतीजों के रूप में सामने होंगे। किडनी ट्रांसप्लांट और गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए झारखंड के लोगों को बाहर नहीं जाना पड़ेगा। उन्होंने नियुक्त हुए सीएचओ से अपेक्षा जताई कि वे ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में मिशन मोड पर काम करेंगे। यह सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि सेवा का अवसर है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि हमने नौकरी दी है तो आपकी हिफाजत भी करेंगे। मंत्री डॉ. इरफान अंसारी का साफ संदेश है कि झारखंड की जनता को अब इलाज के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा। आने वाला समय झारखंड की सेहत और खुशहाली का होगा। इस अवसर पर झारखंड मेडिकल कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक अबु इमरान, निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. सिद्धार्थ सान्याल, मुस्ताक आलम सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
राज्य का स्वास्थ्य सूचकांक राष्ट्रीय औसत से बेहतर
कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा कि झारखंड का स्वास्थ्य सूचकांक राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। सीमित संसाधनों के बावजूद राज्य ने बेहतरीन उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार के करीब 40 स्वास्थ्य कार्यक्रम चल रहे हैं। सीएचओ को इन सभी कार्यक्रमों की जानकारी रखनी होगी, ताकि वे सही तरीके से लोगों तक सेवाएं पहुंचा सकें। उन्होंने कहा, हमारे राज्य में शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। यह टीमवर्क का नतीजा है। लेकिन संस्थागत प्रसव के मामले में हम राष्ट्रीय औसत से पीछे हैं। इस क्षेत्र में सीएचओ को विशेष मेहनत करनी होगी। उन्होंने यह भी बताया कि झारखंड में हर उप-केंद्र को सालाना 2 लाख रुपये राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस राशि का उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में किया जा सकता है।
सीएचओ को मिशन मोड पर काम करना होगा
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक शशि प्रकाश ने कहा कि सीएचओ को मिशन मोड में काम करना होगा। गर्भवती महिलाओं और कठिन भौगोलिक क्षेत्रों तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन यही उनके काम का मूल उद्देश्य है। साथ ही सभी लोगों का आभा कार्ड बनवाने की भी बात कही गई। वहीं, चिकित्सा प्रमुख डॉ. सिद्धार्थ सान्याल ने कहा कि सीएचओ समुदाय में रहकर काम करेंगे और लगातार प्रशिक्षण प्राप्त करते रहेंगे।





